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Agra  संकट यमुना एक्शन प्लान पर खर्च 1500 करोड़ पानी में बहे
 

Agra  संकट यमुना एक्शन प्लान पर खर्च 1500 करोड़ पानी में बहे

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  कालिंदी की कालिख कम करने के लिए करीब तीन दशक में 1500 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो चुका है लेकिन यमुना के हालात सुधरने बजाए और खराब हो गए हैं. मथुरा से लेकर आगरा तक यमुना नदी में प्रदूषण की भरमार है. मथुरा के गोकुल बैराज से आगरा के लिए पानी छोड़ा जाता है. आगरा में यमुना का जल स्तर 480-482 के आसपास रहता है जो न्यूनतम जल स्तर से महज दो-तीन फुट अधिक होता है. जल निगम ने 1400 करोड़ का प्रोजेक्ट बनाया है. 76 एमएएलडी का नया सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट धांधूपुरा बनाने का निर्णय लिया है.64 नालों को टेप करने के बाद पानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पहुंचाया जाएगा. मनोहर पुर एसटीपी की क्षमता बढ़ाई जाएगी.
यमुना की जब तक डीसिल्टिंग नहीं होगी तब तक पानी रुकेगा नहीं और ग्राउंड वाटर नहीं बढ़ेगा. नदी में गंदगी और पालिथीन की वजह से जमीन में पानी नहीं जाता है. यहां 15 फुट तक कचरा साफ होना चाहिए. इससे यहां पानी रुकेगा. सरकारी एंजेंसियों जल्द से जल्द यमुना में गिर रहे नालों को बंद करें. उमेश शर्मा, पर्यावरणविद्

64 नाले गिर रहे हैं सीधे यमुना में
आगरा में करीब 92 नाले हैं जो यमुना नदी की ओर जाते हैं. 28 को टेप किया गया. शेष 64 सीधे में यमुना नदी में गिरते हैं. मथुरा में करीब 28 नाले सीधे यमुना में गिरते हैं. इसे लेकर पर्यावरणविद् एमसी मेहता ने सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी में याचिका दायर की है.
मानक से कई गुना अधिक क्लोरीन
यमुना नदी में पेयजल शोधन से के लिए मानक से कई गुना अधिक क्लोरीन और एलम का प्रयोग किया जाता था. प्रदूषण की वजह से मछलियों का मरना आम बात है. सिकंदरा से लेकर ताजमहल के आगे तक नदी में गंदगी की भरमार है.


आगरा न्यूज़ डेस्क
 

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