नए साल पर मजा होगा किरकिरा! 31 को हड़ताल पर जा रहे हजारों डिलीवरी बॉय, जानिए क्या है वजह ?
क्रिसमस के बाद आपके नए साल का जश्न भी खराब हो सकता है। जी हां, ऐसा इसलिए है क्योंकि Swiggy, Zomato, Amazon, Zepto, Blinkit और Flipkart जैसे बड़े प्लेटफॉर्म के डिलीवरी वर्कर्स ने एक बार फिर पूरे देश में हड़ताल का ऐलान किया है। वे पहले 25 दिसंबर को भी हड़ताल पर गए थे, जो पूरी तरह सफल रही थी। डिलीवरी यूनियन का कहना है कि बार-बार हड़ताल से प्लेटफॉर्म कंपनियों पर दबाव पड़ेगा, क्योंकि गिग इकोनॉमी में हालात लगातार खराब हो रहे हैं।
हजारों डिलीवरी वर्कर्स इस हड़ताल में हिस्सा लेंगे
यह हड़ताल तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन और इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स ने बुलाई है। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे मेट्रो शहरों के साथ-साथ टियर-2 शहरों के हजारों डिलीवरी वर्कर्स इसमें हिस्सा लेंगे। यूनियन नेताओं का कहना है कि फास्ट डिलीवरी की मांग लगातार बढ़ रही है, लेकिन इसके लिए वर्कर्स को पर्याप्त पेमेंट नहीं मिल रहा है। आइए जानते हैं कि डिलीवरी बॉय हड़ताल पर क्यों जा रहे हैं।
सबसे बड़ी समस्या: एल्गोरिदम का कंट्रोल
डिलीवरी वर्कर्स का सबसे ज़्यादा गुस्सा ऐप के एल्गोरिदम पर है। ये एल्गोरिदम तय करते हैं कि उन्हें कितना पेमेंट मिलेगा, उन्हें कितनी डिलीवरी पूरी करनी हैं, और उन्हें कब और कितना इंसेंटिव मिलेगा। सब कुछ बिना किसी पारदर्शिता के होता है। डिलीवरी का समय लगातार घटाकर 10-15 मिनट कर दिया गया है, लेकिन इसका जोखिम वर्कर्स पर आता है। इंसेंटिव के नियम भी अचानक बदल जाते हैं, जिससे इनकम अनिश्चित हो जाती है।
घटती कमाई और नौकरी की असुरक्षा
यूनियन का कहना है कि डिलीवरी वर्कर्स त्योहारों, वीकेंड और पीक आवर्स में सबसे ज़्यादा काम करते हैं। फिर भी, उनकी कमाई लगातार कम हो रही है। काम के घंटे भी बहुत लंबे होते हैं। यूनियन का कहना है कि असुरक्षित डेडलाइन से सड़क दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ रहा है। इसके अलावा, बिना किसी वजह के वर्क आईडी ब्लॉक की जा रही हैं। पेमेंट में देरी या विफलता से भी दिक्कतें होती हैं।
सोशल सिक्योरिटी और वेलफेयर से जुड़ी मांगें
वर्कर्स द्वारा रखी गई मांगों में तय रेस्ट ब्रेक, हेल्थ इंश्योरेंस, एक्सीडेंट कवर, पेंशन लाभ और ऐप के अंदर एक मजबूत शिकायत निवारण प्रणाली शामिल है। ये शिकायतें पेमेंट, रूट, पेनल्टी के मामले में सही बर्ताव आदि से संबंधित हैं। इसके अलावा, वर्कर्स की सबसे बड़ी मांग है कि अल्ट्रा-फास्ट डिलीवरी (10 मिनट की डिलीवरी) बंद की जाए। वर्कर्स का कहना है कि इससे टारगेट पूरा करने के लिए सड़क पर जोखिम भरा व्यवहार बढ़ता है। कस्टमर की सुविधा के नाम पर वर्कर्स की जान और सेहत को खतरे में नहीं डाला जाना चाहिए।
प्लेटफ़ॉर्म पर बढ़ता दबाव
त्योहारों के मौसम और साल के आखिरी दिनों में लगातार हड़तालों से कंपनियों और सरकार पर दबाव बढ़ेगा। अगर बड़ी संख्या में मज़दूर हड़ताल में शामिल होते हैं, तो 31 दिसंबर को कई शहरों में खाने और पैकेज की डिलीवरी में देरी हो सकती है। यूनियनों को उम्मीद है कि इस विरोध प्रदर्शन से यह सुनिश्चित होगा कि गिग वर्कर्स की समस्याओं को गंभीरता से लिया जाए।

