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जल्द ही अमेरिका में भी शुरू होगी UPI की सेवा, इंडो-US क्रॉस बॉर्डर पेमेंट्स को लेकर आया बड़ा अपडेट 

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बिजनेस न्यूज डेस्क - भारत के यूपीआई की प्रसिद्धि दुनिया के कई देशों में कितनी तेजी से फैल रही है, इसी संदर्भ में एक ताजा खबर आई है। भारत के UPI की गूंज अमेरिका में भी सुनाई दे रही है क्योंकि अब दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश भी UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) के विस्तार के दायरे में आने वाला है। दरअसल, यूपीआई को संचालित करने वाली कंपनी नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और भारत के बैंक अमेरिका के कई बैंकों के साथ बातचीत कर रहे हैं, जिसके तहत भारत और अमेरिका के बीच रियल टाइम पेमेंट कनेक्शन स्थापित किया जा सके। इस पहल के जरिए एनपीसीआई को दुनिया के अन्य देशों में सीमा पार भुगतान प्रणाली लागू करने में बड़ी मदद मिल सकती है।

भारत और अमेरिका के बैंकों के बीच रियल टाइम पेमेंट लिंक बनाने की कोशिश
इकोनॉमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों (भारत और अमेरिका) के बैंकों के बीच रियल टाइम पेमेंट लिंक बनाने की कोशिश की जा रही है. एनपीसीआई पहले से ही इस दिशा में प्रयास कर रहा है और अब भारत-अमेरिकी बैंकों के बीच अग्रिम बातचीत भी हो रही है। उम्मीद है कि जल्द ही इस संबंध में कोई ठोस खबर सुनने को मिल सकती है. ईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके जरिए सीमा पार भुगतान में एनपीसीआई की विशेषज्ञता को और बढ़ाया जाएगा. मामले की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने बताया कि भारत के वे बैंक जिनके पास यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) के मामले में अनुभव है और अमेरिका के वे बैंक जो इसके लिए मॉडल विकसित कर सकते हैं- वे पायलट परीक्षण कर रहे हैं. इसके साथ ही एनपीसीआई ही दोनों देशों के ऐसे बैंकों के बीच समन्वय स्थापित कर रहा है.

एनपीसीआई अमेरिका की फेड नाउ के साथ चर्चा कर रही है
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में रिटेल पेमेंट और सेटलमेंट सिस्टम संचालित करने वाली कंपनी NPCI अमेरिका की FedNow के साथ चर्चा कर रही है। आपको बता दें कि NPCI भारत के केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अंतर्गत आता है, जबकि FedNow को पिछले साल जुलाई में फेडरल रिजर्व की बैठक के बाद अमेरिका में एक वास्तविक भुगतान सेवा के रूप में लॉन्च किया गया था और यह वहां UPI के समकक्ष है।

शुरुआत में छोटे उपभोक्ता लेनदेन पर फोकस रहेगा
मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के मुताबिक, भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित पेमेंट मॉडल में शुरुआत में केवल छोटे लेनदेन ही संभव होंगे। इससे शुरुआती चरण में केवल छोटी राशि का लेनदेन ही हो सकेगा क्योंकि अमेरिकी सिस्टम के पास भारत के यूपीआई जैसा व्यवस्थित और विशाल नेटवर्क और सिस्टम नहीं है। इसलिए वहां पहले छोटी रकम के लेनदेन से शुरुआत की जा सकती है.

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