शेयरों को खरीदने और चाइनीज शेयरों को बेचने की स्ट्रैटेजी का दौर हुआ ख़त्म,जाने इससे निवेशकों को क्या होगा फायदा
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बिज़नस न्यूज़ डेस्क, पिछले कुछ समय से शेयर बाजार के निवेशक 'भारत खरीदें, चीन बेचें' यानी चीनी शेयर बेचकर भारतीय शेयर खरीदें की रणनीति अपना रहे हैं। हालांकि, बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक, यह रणनीति अब पलट सकती है। रिकॉर्ड तोड़ रैली के बाद लैजार्ड एसेट मैनेजमेंट, मैनुलाइफ इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट और कैंड्रियाम बेल्जियम एनवी अब भारत में निवेश कम कर रहे हैं। अब वे अपने पसंदीदा निवेश स्थान चीन की ओर रुख कर रहे हैं, क्योंकि जिस तरह से चीन अपनी अर्थव्यवस्था को सहारा देने की कोशिश कर रहा है, उससे यहां औद्योगिक मुनाफे और विनिर्माण को बढ़ावा मिल सकता है।
भारत बनाम चीन: निवेशकों को कितना अंतर दिख रहा है?
लाजार्ड एसेट के उभरते बाजारों के प्रमुख जेम्स डोनाल्ड ने ब्लूमबर्ग को बताया कि चीन सस्ता और सस्ता होता जा रहा है और चीन में उनके निवेश का मूल्य काफी कम हो गया है लेकिन निवेश के अवसर बढ़ गए हैं। भारत के बारे में बात करते हुए उनका कहना है कि ऊंचे वैल्यूएशन के कारण यहां के शेयर उनके पोर्टफोलियो को नीचे खींच रहे हैं। यह बदलाव इस बात का संकेत है कि फंड हाउस यह मान रहे हैं कि चीन का नीतिगत समर्थन विकास को पटरी पर लाने के लिए पर्याप्त होगा। उधर, अमेरिकी बैंक भारत को अगले दस साल के लिए अहम निवेश लक्ष्य मान रहे हैं।
एचएसबीसी होल्डिंग्स पीएलसी के अनुसार, उभरते बाजारों पर आधारित 90 प्रतिशत से अधिक फंड अब मुख्यभूमि चीन के शेयरों की ओर रुख कर रहे हैं और भारत में अपना निवेश कम कर रहे हैं। वैश्विक निवेशकों ने मार्च में लगातार दूसरे महीने हांगकांग के जरिए बेची गई चीनी शेयरों से ज्यादा खरीदारी की और इससे पहले पिछले साल जून और जुलाई में ऐसी प्रवृत्ति देखी गई थी।प्रदर्शन के संदर्भ में, फरवरी के बाद से MSCI चीन सूचकांक भारतीय MSCI इंडिया सूचकांक से दोगुना बढ़ गया है। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि MSCI चाइना इंडेक्स एक साल की आगे की कमाई के 9.1 गुना पर कारोबार करता है, जो MSCI इंडिया इंडेक्स के गुणक से 60% सस्ता है। एबीआरडीएन के निवेश निदेशक शिन-याओ एनजी का कहना है कि भारत में ग्रोथ की मजबूत संभावनाएं हैं लेकिन वैल्यूएशन काफी महंगा है।
पोर्टफोलियो मैनेजर विवेक धवन का कहना है कि कैंड्रियाम के 250 करोड़ रुपये के इमर्जिंग मार्केट फंड ने भारत में अपना एक्सपोजर घटाकर चीन में बढ़ाया है। विवेक कहते हैं कि आत्मनिर्भरता और स्थानीयता जैसे कुछ दिलचस्प विषय चीन में पाए गए और भारत इसके लिए एक फंडिंग स्रोत है। उन्होंने आगे कहा कि सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन में कुछ नाम इसलिए जोड़े गए हैं क्योंकि चीन इस पर खर्च बढ़ाएगा.
चीन को लेकर कैसे बदला माहौल?
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन के प्रति निवेशकों की धारणा तब और सकारात्मक हो गई जब उसका विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक एक साल में उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। इसके अलावा मजबूत निर्यात और बढ़ती उपभोक्ता कीमतों से भी इस माहौल को समर्थन मिल रहा है। आगे क्या होगा इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता. चीन में प्रॉपर्टी सेक्टर अर्थव्यवस्था को और झटका दे सकता है. हालिया कमाई सत्र भी मिला-जुला रहा। इसके बावजूद निवेशकों को भरोसा है कि चीन में विकास पटरी पर रहेगा और शेयरों की दहाड़ फिर लौटेगी.मैनुलाइफ इन्वेस्टमेंट के मल्टी-एसेट सॉल्यूशंस के मुख्य निवेश अधिकारी नाथन थूफ्ट का कहना है कि अगर अगले 12 महीनों की बात करें तो चीन में मजबूत आर्थिक माहौल रहेगा और सकारात्मक धारणा बढ़ेगी। फिलहाल नाथन के पोर्टफोलियो में चीनी शेयरों का वजन कम है लेकिन अब इनका वजन बढ़ाने की योजना है।