अनिल अंबानी की कंपनी आरकॉम को SBI ने बताया फ्रॉड, वकील ने जताया कड़ा विरोध

कभी देश की प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों में शुमार रही रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) एक बार फिर विवादों में है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने दिवालिया हो चुकी इस कंपनी के लोन खाते को फ्रॉड घोषित कर दिया है। यह जानकारी खुद एसबीआई ने स्टॉक एक्सचेंज को भेजे एक पत्र में दी है। बैंक का कहना है कि आरकॉम ने लोन की राशि का दुरुपयोग किया और उसे गलत तरीके से दूसरी कंपनियों में ट्रांसफर किया गया, जिससे इंटर-कंपनी ट्रांजेक्शन और फर्जी इनवॉयसिंग का मामला बना।
क्या हैं SBI के आरोप?
एसबीआई के अनुसार, आरकॉम ने जो लोन लिया था, उसे स्वीकृत उद्देश्य के बजाय संबंधित या कनेक्टेड कंपनियों को ट्रांसफर किया। इन ट्रांजेक्शन में कुछ बोगस इनवॉयस और गलत तरीके से दिखाए गए व्यापारिक लेन-देन का भी आरोप है। बैंक ने इसे वित्तीय अनियमितता और धोखाधड़ी करार दिया है। यह आरोप वर्ष 2016 से संबंधित हैं, जब कंपनी की आर्थिक स्थिति डांवाडोल होने लगी थी।
अनिल अंबानी के वकील का कड़ा विरोध
एसबीआई के इस कदम का अनिल अंबानी की ओर से कड़ा विरोध किया गया है। उद्योगपति के वकील ने 2 जुलाई 2025 को एक पत्र लिखकर एसबीआई को लोन खाते को फ्रॉड घोषित करने के निर्णय पर आपत्ति जताई है। वकील का कहना है कि यह निर्णय न सिर्फ एकतरफा है, बल्कि आरबीआई की गाइडलाइंस और कोर्ट के निर्देशों का भी उल्लंघन करता है।
नेचुरल जस्टिस का उल्लंघन
वकील का आरोप है कि एसबीआई ने “नेचुरल जस्टिस” यानी प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को दरकिनार कर एकतरफा फैसला लिया। अंबानी के प्रतिनिधि के मुताबिक, न तो उन्हें अपने पक्ष में दलीलें रखने का अवसर दिया गया, न ही कारण बताओ नोटिस पर कोई जवाब दिया गया। पत्र में कहा गया है कि अंबानी ने एक साल पहले ही नोटिस की वैधता पर सवाल उठाए थे, लेकिन बैंक की ओर से कोई उत्तर नहीं मिला।
आरबीआई गाइडलाइंस और कोर्ट के फैसलों की अनदेखी
वकील ने स्पष्ट रूप से कहा कि एसबीआई का यह कदम न केवल आरबीआई की फ्रॉड क्लासिफिकेशन से जुड़ी गाइडलाइंस का उल्लंघन करता है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेशों के भी खिलाफ है। उन्होंने कहा कि नियमानुसार बैंक को आरोपों की पुष्टि से पहले कंपनी को व्यक्तिगत सुनवाई का मौका देना चाहिए था।
पहले भी लगा था फ्रॉड का आरोप
गौरतलब है कि एसबीआई से पहले केनरा बैंक भी रिलायंस कम्युनिकेशंस के लोन एकाउंट को फ्रॉड घोषित कर चुका है। केनरा बैंक ने भी लोन राशि के कनेक्टेड पार्टियों को ट्रांसफर करने और इंटर-कंपनी ट्रांजेक्शन का हवाला देते हुए यही आरोप लगाए थे। ऐसे में दो बड़े बैंकों का फ्रॉड की ओर इशारा करना अंबानी की मुश्किलें और बढ़ा सकता है।
दिवालिया प्रक्रिया में है RCom
अनिल अंबानी की यह टेलीकॉम कंपनी लंबे समय से दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है। वर्ष 2019 में कंपनी ने खुद को इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में सौंप दिया था। कंपनी पर बैंकों का कई हजार करोड़ रुपये का बकाया है। आरकॉम का नेटवर्क ऑपरेशन ठप हो चुका है और इसकी संपत्तियां नीलामी की प्रक्रिया में हैं।