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भारत में भेड़-बकरियों की तरह बढ़ रही करोड़पतियों की तादाद, सरकार ने बताया इनके बढ़ने से टैक्स में मिल रहा कितना फायदा

भारत में भेड़-बकरियों की तरह बढ़ रही करोड़पतियों की तादाद, सरकार ने बताया इनके बढ़ने से टैक्स में मिल रहा कितना फायदा

बिज़नस न्यूज़ डेस्क, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आंकड़े जारी करते हुए बताया था कि देश में इनकम टैक्स रिटर्न यानी ITR (Income Tax Return) फाइल करने वालों की संख्या पिछले 10 साल में दोगुना से ज्यादा हो गई है और हाल ही में राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले पांच सालों में इंडिविजुअल करोड़पति इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने वालों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है. दिलचस्प बात यह है कि कोविड के मुश्किल समय के दौरान भी यह संख्या बढ़ी है.

AY 24 में 2.16 लाख लोगों की इनकम 1 करोड़ से ज्यादा

वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने डेटा पेश किया, जिससे पता चला कि असेसमेंट ईयर 2019-20 के दौरान 1 करोड़ रुपए से ज्यादा की इनकम के साथ ई-रिटर्न दाखिल करने वाले व्यक्तियों की संख्या 1.09 लाख से ज्यादा थी. यह AY 24 (फाइनेंशियल ईयर 2022-23) के दौरान बढ़कर 2.16 लाख से ज्यादा हो गई, जो 97 फीसदी की बढ़त को दर्शाता है. कोविड महामारी के सालों के दौरान भी, यानी 2020-21 और 2021-22 में, करोड़पति फाइलर्स की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखी गई थी.

ITR फाइल करने वालों की संख्या भी बढ़ी

उदाहरण के लिए, AY22 में 1 करोड़ रुपए से अधिक की इनकम के साथ ई-रिटर्न दाखिल करने वाले व्यक्तियों की संख्या 1.27 लाख से ज्यादा थी, जो 6.7 फीसदी की बढ़त थी. अगले असेसमेंट ईयर में यह संख्या बढ़कर 1.87 लाख हो गई, यानी 47 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई. हालांकि मंत्रालय ने करोड़पति फाइलर्स की संख्या में बढ़ोतरी का कोई कारण नहीं बताया है, लेकिन माना जा रहा है कि न सिर्फ लोगों की इनकम में बढ़ोतरी हुई है, बल्कि ITR फाइल करने वालों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है.

इन करोड़पति फाइलर्स में से अपने, 'प्रोफेशन' को बिजनेस के तौर पर दर्ज करने वाले व्यक्तियों की संख्या 2023-24 में 12,200 थी, जो 2019-20 में 6,555 से लगभग दोगुनी है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के मुताबिक, फाइल किए गए रिटर्न की संख्या AY24 (31 दिसंबर, 2023 तक) के लिए 8.18 करोड़ के नए रिकॉर्ड तक पहुंच गई है, जो पिछले साल में दाखिल किए गए 7.51 करोड़ रिटर्न के मुकाबले 9 फीसदी से अधिक की वृद्धि दर्शाती है. सरकार ने कहा कि उसने टैक्सपेयर्स की संख्या बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए हैं, जिसमें शामिल हैं:

नया फॉर्म 26AS: इस नए 26AS फॉर्म में सोर्स पर टैक्स के डिडक्शन या कलेक्शन, स्पेसिफाइड फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन (SFT), और टैक्स का पेमेंट, डिमांड और रिफंड की जानकारी शामिल होती हैं.

इनकम टैक्स रिटर्न की प्री-फाइलिंग: इनकम टैक्स फाइल करना आसान बनाने के लिए, इंडिविजुअल्स को पहले से पहले से भरे ( Pre-filed) इनकम टैक्स फॉर्म प्रोवाइड किए जाते हैं.

अपडेटेड रिटर्न: सेक्शन 139(8A) के तहत, एक टैक्सपेयर को रेलिवेंट असेसमेंट ईयर के अंत से दो साल के भीतर कभी भी अपना रिटर्न अपडेट करने की इजाजत होती है ताकि वह स्वेच्छा से चूक या गलतियों को स्वीकार करके और लागू टैक्स का भुगतान करके एक अपडेटेड रिटर्न फाइल कर सके.

कॉर्पोरेट टैक्स रेट में कमी: वित्त अधिनियम 2016 की शुरुआत करते हुए, कॉर्पोरेट टैक्स रेट को धीरे-धीरे कम किया गया है.

पर्सनल इनकम टैक्स का सरलीकरण: नई टैक्स व्यवस्था यानी टैक्स रिजीम (New Tax Regime) लागू करने से अब टैक्सपेयर्स कुछ छूट और इंसेंटिव छोड़ने पर कम लोअर टैक्स रेट का विकल्प चुन सकते हैं.

TDS/TCS के दायरे का विस्तार: नए टैक्सपेयर्स को दायरे में लाने के लिए, भारी कैश विड्रॉल, विदेशी प्रेषण (Foreign Remittance), ओवरसीज टूर प्रोग्राम की परचेज आदि को शामिल करके TDS/TCS के दायरे का विस्तार किया गया है.

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