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अब रील बनाकर सोशल मीडिया से कमाई करने वाले इन्फ्लुएंसर्स को देना होगा इतना टैक्स,जाने डिटेल 

अब रील बनाकर सोशल मीडिया से कमाई करने वाले इन्फ्लुएंसर्स को देना होगा इतना टैक्स,जाने डिटेल 

बिज़नस न्यूज़ डेस्क, मौजूदा समय में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स का प्रभाव समाज में तेजी से बढ़ रहा है. इसलिए ज्यादातर कंपनियां प्रोमोशंस या ब्रांड एंडोर्समेंट के लिए अच्छे खासे फॉलोवर्स वाले इन्फ्लुएंसर्स का रुख करने लगी हैं. इसी के चलते इन्फ्लुएंसर्स या क्रिएटर्स के लिए उनका सोशल मीडिया हैंडल अच्छी-खासी कमाई का साधन बन गया है. लेकिन कुछ समय पहले कुछ फेमस सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की एक लिस्ट सामने आई थी, जिनकी संभावित टैक्स धोखाधड़ी के लिए आयकर विभाग की ओर से जांच की गई थी. हालांकि, उनकी पहचान का खुलासा नहीं किया गया था, लेकिन यह साफ है कि टैक्स ऑफिशियल्स प्रभावशाली लोगों के बीच टैक्स चोरी के खिलाफ कड़ा रुख अपना रहे हैं. इसलिए कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को टैक्सेशन के नियमों के बारे में पता होना होना बेहद जरूरी है.

इनकम टैक्स के अंतर्गत आते हैं इन्फ्लुएंसर्स
सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स ज्यादातर सेल्फ एम्प्लॉयड कैटेगरी के अंतर्गत आते हैं. इसलिए उन्हें सेल्फ एम्प्लॉयड टैक्सपेयर्स के लिए निर्धारित टैक्सेशन नियमों का पालन करना होगा. उन्हें वार्षिक आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करना होगा और स्पोंसर्ड पोस्ट, ब्रांड एंडोर्समेंट और प्रोडक्ट प्लेसमेंट से इनकम सहित अपनी पूरी इनकम का खुलासा करना होगा. इनकम कम बताने या टैक्स चोरी करने का प्रयास करने पर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जा सकती हैं.

क्या GST भी लगेगा?
इनकम टैक्स के अलावा सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) जैसी अन्य टैक्स लायबिलिटी भी पूरी करनी पड़ सकती हैं. एक वित्त वर्ष में 20 लाख रुपये से ज्यादा कमाने वाले सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को जीएसटी कानून के तहत रेरजिस्ट्रेशन करना होगा. इन्फ्लुएंसर्स की तरफ से दी जाने वाली सर्विसेज 18% जीएसटी दर के अधीन ऑनलाइन इनफार्मेशन और डेटाबेस एक्सेस ओर रिट्रीवल सर्विसेज (OIDAR) कैटेगरी के अंतर्गत आती हैं.
इन्फ्लुएंसर्स को उस जीएसटी का भुगतान भी करना पड़ सकता है, जो कंसल्टिंग और ट्रेनिंग सहित उनकी तरफ दी जाने वाली सर्विसेज की वैल्यू पर लगाया जाता है. इन्फ्लुएंसर्स को कटौती का लाभ उठाने और टैक्स लायबिलिटी को कम करने के लिए अपने व्यावसायिक खर्चों, ट्रेवल कॉस्ट और अन्य प्रासंगिक खर्चों का सटीक रिकॉर्ड बनाए रखना चाहिए.

एक्सपर्ट की सलाह जरूरी
किसी योग्य टैक्स प्रोफेशनल या चार्टर्ड एकाउंटेंट से सलाह लेना इन्फ्लुएंसर्स के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. क्योंकि वे उनकी विशेष वित्तीय परिस्थितियों के अनुसार गाइडेंस प्रदान के साथ-साथ टैक्सेशन की जटिलताओं को समझने में उनकी सहायता कर सकते हैं.

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