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जाने EPF, PPF और GPF अकाउंट में अंतर, जानिए तीनों में किस में मिलता है ज्यादा फायदा, जाने डिटेल

जाने EPF, PPF और GPF अकाउंट में अंतर, जानिए तीनों में किस में मिलता है ज्यादा फायदा, जाने डिटेल

 बिज़नस न्यूज़ डेस्क, सरकार देश के सभी वर्गों का आर्थिक भविष्य सुरक्षित करना चाहती है। इसके लिए वह कई योजनाएं भी चलाती हैं। इनमें सबसे अहम हैं प्रोविडेंट फंड, जिन्हें आम बोलचाल की भाषा में PF भी कहते हैं।PF तीन तरह के होते हैं- पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF) और जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF)। बहुत से लोगों को इन तीनों फंड के बीच का अंतर करने में कंफ्यूजन होती है।आइए हम आपको बताते हैं कि इन तीनों PF में क्या अंतर है, ये किनके लिए हैं और इनमें पैसे कैसे लगाए जाते हैं और ब्याज कितना मिलता है।

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)
जैसा कि नाम से ही जाहिर है कि यह PF आम जनता के लिए है। नौकरीपेशा या कारोबारी शख्स समेत कोई भी भारतीय नागरिक इसका लाभ उठा सकता है। इस डाकघर या बैंकों में खुलवाया जा सकता है। इसमें सालाना कम से कम 500 और अधिकतम डेढ़ लाख रुपये जमा किया जा सकता है।

PPF 15 साल में मैच्योर होता है। फिर इसे 5-5 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। इसमें चक्रवृद्धि ब्याज (Compound interest) मिलता है यानी आपकी ब्याज की रकम भी मूल निवेश में जुड़ जाती है और फिर उस पर भी सालाना ब्याज मिलता है। अभी इस पर सरकार 7.1 फीसदी ब्याज देती है।

एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF)
EPF प्राइवेट सेक्टर की 20 से अधिक वर्कर्स वाली कंपनी के कर्मचारियों के लिए हैं। इसमें कर्मचारी की सैलरी का एक तय हिस्सा जमा होता है और कंपनी भी उतना ही योगदान देती है। हालांकि, कंपनी के हिस्से की 3.67 फीसदी रकम ही EPF में आती है। बाकी 8.3 फीसदी कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में जाता है।

रिटायरमेंट के बाद PF की रकम कर्मचारियों को एकमुश्‍त मिल जाती है। वहीं EPF का पैसा पेंशन के तौर पर मिलता है। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए EPF पर ब्याज दर 8.25 प्रतिशत तय की गई है। यह कई सेविंग स्कीम्स के मुकाबले कहीं ज्यादा है।

जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF)
GPF सिर्फ सरकारी मुलाजिमों के लिए है। इसमें सरकार के लिए लगातार एक साल तक काम करने वाले अस्थायी और स्थायी कर्मचारियों का खाता खुलता है। GPF में कर्मचारियों को अपने वेतन का कम से कम 6 फीसदी योगदान करना होता है, बशर्ते वह सस्पेंड ना हो। फिर रिटायरमेंट के बाद उन्हें एकमुश्त रकम मिलती है।

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