2025 में भारत की अर्थव्यवस्था ने रचा इतिहास, वीडियो में जानें जापान को पीछे छोड़कर बनी दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था
साल 2025 भारत की अर्थव्यवस्था के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ। इस साल भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का गौरव हासिल किया है। देश की आर्थिक वृद्धि, कम महंगाई और घटती बेरोजगारी दर ने इसे वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दी है।
आर्थिक आंकड़ों के अनुसार, दूसरी तिमाही (Q2) में जीडीपी ग्रोथ 8.2% रही, जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी मजबूत संकेत है। वहीं, नवंबर 2025 में खुदरा महंगाई दर गिरकर मात्र 0.71% पर आ गई। इससे यह स्पष्ट होता है कि देश में मुद्रास्फीति नियंत्रण में है और उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें स्थिर हैं। इसके अलावा, बेरोजगारी दर भी नवंबर में घटकर 4.7% हो गई है, जो अप्रैल 2025 के बाद का सबसे निचला स्तर है।
विशेषज्ञ इस स्थिति को अर्थशास्त्र में 'गोल्डिलॉक्स पीरियड' कहते हैं। इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ रही है, लेकिन महंगाई और अन्य आर्थिक जोखिम अभी भी न्यूनतम हैं। इस संतुलित स्थिति ने निवेशकों और बाजारों में सकारात्मक माहौल बनाया है।
भारत की जीडीपी का कुल मूल्यांकन अब 4.18 ट्रिलियन डॉलर (करीब ₹350 लाख करोड़) हो गया है। जापान को पीछे छोड़ने के बाद, आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि अगले 2.5 से 3 साल में भारत जर्मनी को भी पीछे छोड़ देगा, और साल 2030 तक 7.3 ट्रिलियन डॉलर (₹655 लाख करोड़) की अर्थव्यवस्था के साथ दुनिया में तीसरे नंबर पर आ जाएगा।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भी इस तेजी को देखते हुए पूरे साल के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.8% से बढ़ाकर 7.3% कर दिया है। आरबीआई के अनुसार, यह वृद्धि न केवल घरेलू मांग बल्कि निर्यात और निवेश में सुधार के कारण संभव हुई है।
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की इस तरह की वृद्धि में तकनीकी नवाचार, डिजिटल अर्थव्यवस्था, विनिर्माण क्षेत्र और सेवाओं का बड़ा योगदान रहा है। साथ ही, सरकारी योजनाओं और निवेश को बढ़ावा देने वाली नीतियों ने भी अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की है।
विश्लेषकों ने यह भी कहा कि भारत की यह उपलब्धि सिर्फ एक आकड़ा नहीं है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की आर्थिक स्थिति और निवेश आकर्षण को मजबूत करने वाला संकेत है। इससे विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और नई नौकरियों के अवसर भी पैदा होंगे।
इस प्रकार, 2025 भारत के लिए न केवल जापान को पीछे छोड़ने का वर्ष रहा, बल्कि यह देश की आर्थिक मजबूती, स्थिरता और वैश्विक महत्व को दर्शाने वाला ऐतिहासिक वर्ष भी साबित हुआ।

