बिज़नस न्यूज़ डेस्क, एक वक्त था, जब पूरी दुनिया भारत के मसालों की दीवानी थी। धरती के कोने-कोने से व्यापारी सिर्फ मसालों के लिए भारत आते थे। काली मिर्च जैसे मसाले तो उस वक्त सोने के भाव बिकते थे। भारतीय मसाले ना सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए मशहूर थे, बल्कि उनकी अपनी एक रोग प्रतिरोधक क्षमता भी थी। यही वजह है कि बाकी एशियाई देशों के अलावा प्राचीन रोम में भारतीय मसाले भेजे जाते थे।
आज भी सूरतेहाल ज्यादा नहीं बदला नहीं है। भारत की पहचान अब भी सबसे बड़े मसाला निर्यातक के तौर पर है। भारत की कुल मसाला उत्पादन में हिस्सेदारी तकरीबन 75 फीसदी है। वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने करीब 35 हजार करोड़ रुपये के मसालों का निर्यात किया। अंतराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) ने मसालों की 109 किस्मों को सूचीबद्ध कर रखा है। भारत इनमें से लगभग 75 का उत्पादन करता है।लेकिन, पिछले कुछ दिनों में भारतीय मसालों की साख को बड़ा धक्का लगा है। खासकर, सिंगापुर और हांगकांग में भारत की दो प्रतिष्ठित मसाला कंपनियों- MDH और एवरेस्ट के कुछ प्रोडक्ट्स पर कथित तौर पर प्रतिबंध लगने के बाद। अब अमेरिका समेत कम से कम पांच देश भारतीय मसालों की जांच कर रहे हैं।
कौन भारत से खरीदता है सबसे ज्यादा मसाला?
चीन 7,732 करोड़ रुपये
अमेरिका 4,781 करोड़ रुपये
बांग्लादेश 2,826 करोड़ रुपये
यूएई 2,140 करोड़ रुपये
थाईलैंड 2,140 करोड़ रुपये
मलेशिया 1,227 करोड़ रुपये
इंडोनेशिया 1,227 करोड़ रुपये
ब्रिटेन 1,227 करोड़ रुपये
श्रीलंका 1,227 करोड़ रुपये
सऊदी अरब 1,227 करोड़ रुपये