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बिज़नस न्यूज़ डेस्क, दुनिया की नज़र भारत और उसकी अर्थव्यवस्था पर है। देश में नई सरकार बन गई है। इस बार यह सरकार पिछली दो सरकारों जैसी नहीं है। किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। जिसके चलते बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी है। ऐसे में विदेशी फर्म का मानना है कि नई सरकार के लिए उन कड़े फैसलों को लेना मुश्किल होगा, जो सरकार लेना चाहती थी। विदेशी फर्म ने यह भी अनुमान लगाया है कि अगर सरकार उन मुश्किल कामों को करने में सफल हो जाती है तो देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ सकती है। आखिर वो विदेशी फर्म कौन सी है? वो कौन से मुश्किल काम हैं, जिन्हें करने में नई सरकार को मुश्किल आ सकती है? साथ ही, अगर वो सारे काम हो जाते हैं तो देश की ग्रोथ कितनी हो सकती है?
तब अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ेगी
स्विस ब्रोकरेज फर्म यूबीएस सिक्योरिटीज ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोगियों पर निर्भर नई सरकार के लिए कड़े सुधारों को लागू करना मुश्किल होगा। यूबीएस सिक्योरिटीज ने कहा कि अगर सरकार भूमि, खेती, विनिवेश, समान नागरिक संहिता और एक राष्ट्र एक चुनाव जैसे कड़े सुधारों को लागू करने में सफल रहती है तो संभावित वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत से अधिक हो सकती है। भारत में यूबीएस की मुख्य अर्थशास्त्री तन्वी गुप्ता जैन ने कहा कि कड़े सुधारों को लागू करने से अगले पांच साल में संभावित वृद्धि दर मौजूदा 6.5-7 प्रतिशत से बढ़कर 7.5 प्रतिशत से अधिक हो सकती है। ये कार्य होंगे कठिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तीसरे कार्यकाल में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सहयोगियों पर निर्भरता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 2019 और 2014 के चुनावों की तुलना में इस बार कड़े सुधारों को आगे बढ़ाना कठिन होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार अगले 12-18 महीनों में विनिर्माण को बढ़ावा देने, पहले से पारित श्रम कानूनों को लागू करने और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करेगी। कितनी हो सकती है जीडीपी जैन ने कहा कि हमें लगता है कि भूमि सुधार, बुनियादी ढांचे पर खर्च को बढ़ावा देने, विनिवेश, कृषि विधेयक, समान नागरिक संहिता, एक राष्ट्र एक चुनाव समेत कड़े सुधारों को लागू करना चुनौतीपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि विकास की गति मजबूत है और वित्त वर्ष 2024-25 में वास्तविक जीडीपी विकास दर सात फीसदी रह सकती है। हाल ही में आरबीआई की मौद्रिक नीति बैठक हुई। जिसमें आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने चालू वित्त वर्ष की जीडीपी 7.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। जो वित्त वर्ष 2023-24 में देखी गई वृद्धि से काफी कम है। पिछले वित्त वर्ष में देश की वृद्धि 8 फीसदी से ज्यादा रही थी।