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एनएसई के आईपीओ से जुड़े पेंडिंग मुद्दे जल्द सुलझ जाएंगे : तुहिन कांत पांडे

नई दिल्ली, 22 मई (आईएएनएस)। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अध्यक्ष तुहिन कांत पांडे ने गुरुवार को कहा कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के आईपीओ से जुड़े पेंडिंग इश्यू जल्द ही सुलझ जाएंगे और नियामक इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगा।
एनएसई के आईपीओ से जुड़े पेंडिंग मुद्दे जल्द सुलझ जाएंगे : तुहिन कांत पांडे

नई दिल्ली, 22 मई (आईएएनएस)। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अध्यक्ष तुहिन कांत पांडे ने गुरुवार को कहा कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के आईपीओ से जुड़े पेंडिंग इश्यू जल्द ही सुलझ जाएंगे और नियामक इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगा।

एसोचैम के कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बात करते हुए पांडे ने कहा, "हम जल्द ही इस पर आगे बढ़ेंगे। एनएसई और सेबी इस पर चर्चा कर रहे हैं। वे मुद्दों को सुलझा रहे हैं। मुझे पूरी उम्मीद है कि यह जल्द ही हो जाएगा और हम आगे बढ़ेंगे।"

किसी विशिष्ट समयसीमा के बारे में पूछने पर सेबी प्रमुख ने कहा कि वह कोई तारीख नहीं बता सकते, लेकिन उन्होंने कहा, "सभी लंबित मुद्दे सुलझ जाएंगे और हम आगे बढ़ेंगे। मैं आपको समयसीमा नहीं बता सकता, लेकिन मुझे लगता है कि हम जल्द ही इसे ठीक कर लेंगे।"

उन्होंने यह भी बताया कि सेबी और एनएसई नियामक चिंताओं को दूर करने और एक सुचारू आईपीओ प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।

एसोचैम के कार्यक्रम में एनएसई के प्रबंध निदेशक और सीईओ आशीष कुमार चौहान ने भारत के पूंजी बाजारों के मजबूत प्रदर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे देश की व्यापक आर्थिक ताकत को दर्शाते हैं।

चौहान ने कहा कि भारत अब दुनिया का चौथा सबसे बड़ा इक्विटी बाजार बन गया है।

उन्होंने उपस्थित लोगों से कहा, "एनएसई के संचालन की शुरुआत 1994 से अब तक भारत का बाजार पूंजीकरण 120 गुना से अधिक बढ़ गया है। आज यह लगभग 440 लाख करोड़ रुपए या 5.1 ट्रिलियन डॉलर है।"

उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों में एनएसई-लिस्टेड कंपनियों का बाजार पूंजीकरण लगभग छह गुना बढ़ गया है और बाजार पूंजीकरण-जीडीपी अनुपात वित्त वर्ष 2014 में 60 प्रतिशत से दोगुना होकर वित्त वर्ष 2025 में 124 प्रतिशत हो गया है।

चौहान के अनुसार, यह भारत के पूंजी बाजार की गहराई और निवेशकों के बढ़ते विश्वास को दर्शाता है।

चौहान ने यह भी बताया कि वैश्विक अनिश्चितताओं जैसे व्यापार तनाव, विकसित बाजारों की धीमी गति और भू-राजनीतिक जोखिम के बावजूद भारत 'स्थिरता और अवसर के प्रतीक' के रूप में उभरा है।

--आईएएनएस

एसकेटी/एबीएम

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