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एआई से जितनी नौकरियां ख़त्म होंगी, उससे अधिक पैैदा होंगी : आईबीएम इंडिया

नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)। आईबीएम इंडिया/साउथ एशिया के प्रबंध निदेशक संदीप पटेल ने कहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से वास्तव में जितनी नौकरियां खत्म होंगी, उससे अधिक पैदा होंगी।
एआई से जितनी नौकरियां ख़त्म होंगी, उससे अधिक पैैदा होंगी : आईबीएम इंडिया

नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)। आईबीएम इंडिया/साउथ एशिया के प्रबंध निदेशक संदीप पटेल ने कहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से वास्तव में जितनी नौकरियां खत्म होंगी, उससे अधिक पैदा होंगी।

पटेल ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि उन्होंने समय के साथ प्रौद्योगिकी और कई नवाचारों को विकसित होते देखा है।

उन्होंने कहा,“मेरा दृढ़ विश्वास है कि एआई जितनी नौकरियां ख़त्म करता है, उससे कहीं अधिक पैदा करेगा। पूरी तरह से नई नौकरियों की कल्पना करते समय लोग आमतौर पर बहुत डर जाते हैं। उदाहरण के लिए, इंटरनेट के आगमन के साथ समाचार पत्र मुद्रण जैसे कुछ क्षेत्रों में नौकरियों में गिरावट आई, लेकिन इसके परिणामस्वरूप वेब डिज़ाइन, डेटा साइंस, डिजिटल मार्केटिंग और वेब प्रकाशन में लाखों नई नौकरियों का सृृृजन हुआ।

पटेल ने जोर देकर कहा, "तो, जिन चीजों के बारे में हम बहुत स्पष्ट हैं और जिन पर जोर देते रहते हैं, उनमें से एक यह है कि पुन: कौशल बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।"

भारत में 46 प्रतिशत कंपनियां वर्तमान में स्वचालन और एआई उपकरणों के साथ मिलकर काम करने के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षण दे रही हैं या पुन: कुशल बना रही हैं, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करने की गुंजाइश है।

उन्होंने कहा, "यह कुछ ऐसा है जिसे सरकार स्पष्ट रूप से पहचानती है।"

जब हम संगठन के भीतर कर्मचारियों को देखते हैं, तो 50 प्रतिशत कहते हैं कि वे नए एआई और ऑटोमेशन टूल के साथ काम करने के लिए उत्साहित हैं।

पटेल ने आईएएनएस को बताया,“तो, अब सवाल यह है कि आप लोगों के एक विशाल समूह को कैसे प्रशिक्षित करते हैं? हर कोई कोडर या एआई डेवलपर वगैरह नहीं हो सकता। जैसे-जैसे ये प्रौद्योगिकियांं विकसित हो रही हैं, आपको इनके साथ काम करना सीखना होगा।”

आईटी और कौशल विकास राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर के अनुसार, एआई में भारत की प्रगति की कुंजी तकनीकी प्रतिभा है, न कि चिप-संचालित कंप्यूटिंग शक्ति।

उन्होंने पिछले दिसंबर में एक कार्यक्रम में कहा था, "एआई में प्रतिभा कहीं अधिक बुनियादी चुनौती है। हमें एआई में मास्टर्स और पीएचडी करने के लिए विश्वविद्यालयों की जरूरत है। प्रतिभा एक ऐसी चीज है, जो मुझे रातों में जगाए रखती है।" .

उन्होंने जोर देकर कहा कि एआई से संबंधित नौकरियों के लिए प्रतिभा की भविष्य की पाइपलाइन को आकार देने के लिए तकनीकी उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों को विश्व स्तर पर सरकारों के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

--आईएएनएस

सीबीटी/

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