इंश्योरेंस पर 18% घट गया जीएसटी, लेकिन पॉलिसीहोल्डर्स को नहीं मिलेगा पूरा फायदा, ये है कारण
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में अगली पीढ़ी के सुधारों के तहत, कई कंपनियों ने उत्पादों की कीमतों में कटौती की है। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बिकने वाले उत्पादों, खासकर ऑटोमोबाइल से लेकर ई-कॉमर्स कंपनियों तक, की कीमतों में कटौती की गई है, लेकिन बीमा कंपनियों द्वारा जीएसटी दरों में की गई कटौती का पूरा लाभ पॉलिसीधारकों को नहीं मिल रहा है। दूसरी ओर, कंपनियां अतिरिक्त कवरेज समेत कई नए फॉर्मूले अपना रही हैं, जिससे प्रीमियम में कमी की बजाय बढ़ोतरी हुई है।
जीएसटी परिषद ने स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर लगने वाले 18% जीएसटी को शून्य कर दिया था। नई दरें 22 सितंबर से प्रभावी हैं। अब, जिन लोगों के प्रीमियम 22 सितंबर के बाद बढ़े हैं, उनके प्रीमियम में उतनी कटौती नहीं हुई है जितनी होनी चाहिए थी। सबसे ज़्यादा शिकायतें स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को लेकर हैं। कुछ कंपनियों ने स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी धारक की आयु सीमा बढ़ने का हवाला देकर प्रीमियम बढ़ा दिया है। जैसे एक व्यक्ति ने पिछले साल 63 हज़ार रुपये का प्रीमियम भरा था, लेकिन इस बार उसकी उम्र 70 साल पूरी हो गई है। कंपनी ने हवाला दिया कि आपकी आयु सीमा बदल रही है, इसलिए आपका प्रीमियम बढ़ाया जा रहा है।
कंपनियों के बारे में शिकायतें सिर्फ़ इतनी ही नहीं हैं, कई कंपनियां पॉलिसी के साथ कुछ राइडर (सेफ गार्ड) यानी अतिरिक्त कवरेज जोड़कर पॉलिसी का प्रीमियम पिछले साल जितना ही रख रही हैं। अतिरिक्त कवरेज जोड़कर बीमा कंपनी कह रही है कि आपको यह अतिरिक्त लाभ मिलेगा। वहीं, कई कंपनियों की शिकायत है कि उनकी पॉलिसी में पहले से ही वह अतिरिक्त कवरेज शामिल था, लेकिन उसे नया कवरेज बताकर प्रीमियम बढ़ा दिया गया।
दूसरी ओर, सूत्रों का कहना है कि अब सरकार स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर नज़र रख रही है। भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDA) से इस संबंध में कार्रवाई करने के लिए कहा जा सकता है।
जीवन बीमा पॉलिसी के प्रीमियम में ढाई प्रतिशत तक की कटौती के कारण सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में शिकायतें आई हैं, जिसमें लोग बीमा कंपनी और IRDAA को टैग कर रहे हैं। जैसे एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा कि पिछले साल उसने जीवन बीमा के तौर पर 23667 रुपये का प्रीमियम भरा था। इस बार प्रीमियम 23146 रुपये है। यानी कुल प्रीमियम में लगभग 2.5 प्रतिशत की कमी की गई है, जबकि सरकार ने जीएसटी दरों में 18 प्रतिशत की कमी की है।
कुछ कंपनियों ने दिया लाभ, घटाया पॉलिसी कमीशन तमाम शिकायतों के बीच, कुछ कंपनियों ने जीएसटी दरों में कमी का लाभ सीधे पॉलिसीधारकों को देने की पहल की है। अपने खर्चों को कम करने के लिए, कंपनियों ने पॉलिसी से जुड़े कमीशन को भी कम कर दिया है, ताकि इसका लाभ पॉलिसीधारक को दिया जा सके।
नोटबुक की कीमतें बढ़ गई हैं। सरकार ने नोटबुक और कॉपियों से जीएसटी हटाकर शून्य कर दिया है, जबकि कागज़ यानी कच्चे माल पर जीएसटी घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया है। इससे नोटबुक और कॉपियों की कीमतें बढ़ेंगी।
क्योंकि, नोटबुक और कॉपियाँ बेचने वाले दुकानदार सामान खरीदते समय 18% जीएसटी दे रहे हैं, लेकिन ग्राहकों को बेचते समय वे कोई जीएसटी नहीं ले सकते, जिससे वे इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं कर सकते। ऐसे में नोटबुक की कीमतें बढ़ गई हैं। पहले नोटबुक, अभ्यास पुस्तिका, मानचित्र, पेंसिल और ड्राइंग सामग्री पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता था, जिसे सरकार ने जीएसटी 2.0 में शून्य कर दिया, लेकिन कागज पर लगने वाले 12 प्रतिशत जीएसटी को बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है।

