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गौतम अडानी मामले में दायर की गई नयी याचिका, फिर से एक्सपर्ट कमेटी बनाने की की गई अपील 

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बिज़नस न्यूज़ डेस्क -  गौतम अडानी मामले में सोमवार को दायर एक नई याचिका में विशेषज्ञ समिति के कुछ सदस्यों पर हितों के टकराव का आरोप लगाया गया है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने इस कमेटी का गठन किया था। याचिका दाखिल करने वाली अनामिका जयसवाल पहले भी अडानी मामले में याचिका दाखिल कर चुकी हैं. विशेषज्ञ समिति ने मई में सुप्रीम कोर्ट के सामने अपनी रिपोर्ट पेश की थी। अनामिका ने अपनी याचिका में कहा है कि छह सदस्यीय विशेषज्ञ समिति में शामिल एसबीआई के पूर्व चेयरमैन ओपी भट्ट के हितों का टकराव है। वह नवीकरणीय ऊर्जा फर्म ग्रीनको के प्रमुख भी हैं। इस कंपनी का अडानी ग्रुप के साथ व्यापारिक संबंध है।

ओपी भट्ट की विशेषज्ञ समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में कहा था कि अडानी ग्रुप के शेयरों में बढ़ोतरी के पीछे हेरफेर के कोई संकेत नहीं हैं। इस निष्कर्ष को अडानी के लिए बड़ी राहत माना गया। दरअसल, 24 जनवरी को अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप के शेयरों में अभूतपूर्व बढ़ोतरी के लिए धांधली और वित्तीय धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे. इसके बाद ग्रुप की कंपनियों के मार्केट कैप में करीब 150 अरब डॉलर की भारी गिरावट आई।

जयसवाल के मुताबिक, दावोस में भट्ट की कंपनी ग्रीनको और अडानी ग्रुप के बीच साझेदारी की घोषणा की खबर थी। यह स्पष्ट रूप से ओपी भट्ट के हितों के टकराव को उजागर करता है। उनका कहना है कि भट्ट को खुद इस बारे में बताना चाहिए था. उनका कहना है कि विजय माल्या को लोन देने के मामले में सीबीआई ने भट्ट से 2018 में भी पूछताछ की थी। याचिका के मुताबिक, माल्या की कंपनियों को ज्यादातर कर्ज तब दिया गया जब भट्ट एसबीआई चेयरमैन थे। भट्ट 2006 से 2011 तक सबसे बड़े बैंक के प्रमुख थे।

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