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No Fuel For Old Vehicles: दिल्ली में No Fuel वाले फॉर्मूले का कितना असर?

दिल्ली में 1 जुलाई से लागू हुए नए नियम के बाद जो पुराने डीजल और पेट्रोल वाहनों पर ईंधन सप्लाई पर रोक लगाता है, राजधानी में भारी हड़कंप मचा हुआ है। 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहन अब ईंधन नहीं ले पाएंगे, जिससे वाहन मालिकों में अफरातफरी का माहौल है........
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दिल्ली में 1 जुलाई से लागू हुए नए नियम के बाद जो पुराने डीजल और पेट्रोल वाहनों पर ईंधन सप्लाई पर रोक लगाता है, राजधानी में भारी हड़कंप मचा हुआ है। 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहन अब ईंधन नहीं ले पाएंगे, जिससे वाहन मालिकों में अफरातफरी का माहौल है। इसी कारण दिल्ली के मायापुरी स्थित एशिया के सबसे बड़े स्क्रैप मार्केट में भी भारी भीड़ देखी जा रही है। पिछले एक हफ्ते में यहां स्क्रैपिंग का काम लगभग 80 प्रतिशत तक बढ़ चुका है।

मायापुरी स्क्रैप मार्केट में भारी भीड़

मायापुरी स्क्रैप मार्केट में अब हर ओर कारों का सैलाब है। यहां केवल पुराने वाहन ही नहीं, बल्कि लग्जरी कारें भी स्क्रैपिंग के लिए लाई जा रही हैं। बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज-बेंज, रेंज रोवर जैसी महंगी कारों के साथ-साथ आई20 और महिंद्रा थार जैसी लोकप्रिय गाड़ियां भी यहां पहुंच रही हैं। इतना ही नहीं, दोपहिया वाहनों की भी भारी बिक्री हो रही है। स्क्रैप डीलरों के अनुसार, मंत्री, बिजनेसमैन, डॉक्टर और पुलिसकर्मी तक मजबूरी में अपनी गाड़ियां यहां स्क्रैपिंग के लिए दे चुके हैं।

लग्जरी गाड़ियों की मजबूरी

कुछ वाहन मालिकों ने अपने वाहनों को दशकों से संभाल कर रखा था, जहां एक भी स्क्रैच नहीं पड़ा। लेकिन नए नियमों की वजह से उन्हें मजबूर होकर अपनी कीमती गाड़ियों को स्क्रैपिंग के लिए देना पड़ रहा है। स्क्रैप डीलरों का कहना है कि ये लोग गाड़ी की चाबी सौंपकर भारी दुखी होकर वहां से चले जाते हैं, क्योंकि उनके लिए ये गाड़ियां केवल वाहन नहीं, बल्कि भावनाओं से जुड़ा एक अहम हिस्सा थीं।

मायापुरी के अनुभवी स्क्रैप डीलर का बयान

मायापुरी स्क्रैप मार्केट के 25 साल से अधिक समय तक प्रधान रहे हेमराज गुप्ता ने बताया कि “जब से दिल्ली सरकार ने ‘No Fuel For Old Vehicles’ नियम लागू किया है, तब से पुराने वाहन यहां भारी संख्या में आने लगे हैं। पिछले दो हफ्तों में नियमों की सख्ती के चलते लग्जरी कारें भी यहां आ रही हैं, जो अपनी कीमत से बहुत कम दामों पर बिक रही हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि दोपहिया वाहन भी कम संख्या में नहीं हैं, कई स्पोर्ट्स बाइक भी स्क्रैपिंग के लिए लाई जा रही हैं।

जुर्माने और वाहन जब्ती से बचने की मजबूरी

हेमराज गुप्ता के अनुसार, सड़क पर पुराने वाहनों को चलाने पर भारी जुर्माना लगता है और गाड़ी जब्त हो जाती है, जिससे वाहन मालिकों को कुछ भी वापस नहीं मिलता। इसलिए लोग यहां आकर अपनी गाड़ियों को स्क्रैप करवा रहे हैं, जहां उन्हें कम से कम कुछ रकम तो मिल ही जाती है।

स्क्रैपिंग में कीमत कैसे तय होती है?

हेमराज गुप्ता बताते हैं कि जब ट्रैफिक पुलिस वाहन जब्त कर स्क्रैपिंग के लिए भेजती है, तो वाहन मालिक को एक पर्ची दी जाती है, जिसमें स्क्रैपिंग की कीमत लिखी होती है, लेकिन यह कीमत आमतौर पर बहुत कम होती है। वहीं, यदि वाहन मालिक खुद मायापुरी स्क्रैप मार्केट आते हैं, तो वे अपनी गाड़ी को बेहतर दामों पर बेच सकते हैं।

स्क्रैप मार्केट की कार्यप्रणाली

स्क्रैप डीलरों के पास दूसरे राज्यों में भी गाड़ियां बेचने का अधिकार होता है। वे खराब या डैमेज्ड वाहनों को दिल्ली से बाहर स्क्रैपिंग के लिए भेजते हैं। इसके साथ ही गाड़ियों के उपयोगी बॉडी पार्ट्स को अलग कर उन्हें बाजार में बेचकर भी मुनाफा कमाते हैं। इससे डीलरों को और वाहन मालिकों को दोनों को फायदा होता है।

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