कोरोना और डूबते यस बैंक ने भारत की बढ़ाई चिंता!
कोरोना वायरस लोगों के सामने जीवन और आर्थिक आधार पर संकट बनकर खड़ा हो गया है। चीन के कोरोना से मंदी के पनपने से इनकार नहीं किया जा सकता है। पहले से मंदी और आर्थिक ग्रोथ के गिरते आंकड़ों का सामना कर रहे भारत के लिए कोरोना का कहर बुरा साबित होने वाला है। कोरोना के भारत में भले ही 43 मामले सामने आए हैं, लेकिन कोरोना ने भारत के लोगों के सामने आर्थिक संकट पैदा कर दिया है। लोग पहले से बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। ऐसे में चीन से उठे कोरोना के संक्रमण से दुनिया में आर्थिक मंदी की आशंकाएं पसरी है। दुनियाभर की अर्थव्यवस्था के गिरते आंकड़ों से भारत की भी चिंता बढ़ी है।

कोरोना वायरस को लेकर सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली है। सेंसेक्स तेजी से 2357 अंक क्रैश हो गया है। 600 अंकों के साथ निफ्टी में गिरावट दर्ज की गई है। कोरोना वायरस और कर्ज से डूबते यस बैंक भारत के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है। बैंकों में लोगों की रकम सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन अब ये दावे सिर्फ खोखले साबित हो रहे हैं। बैंक कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं।

यस बैंक के डूबने की खबर ने खाताधारकों के लिए परेशानी खड़ी कर दी। किसी को बेटी की शादी करनी है तो किसी को इलाज कराना है। ऐसे में कई नियमों का हवाला दिया गया है, लेकिन क्या लोगों को डूबते बैंक से कोई राहत मिल पाएगी। हालांकि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने यस बैंक को फिर से पटरी पर लाने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाने की सोची है, लेकिन एबीआई के इस कदम से यस बैंक फिर से उभर पाएगा। एसबीआई खुद एनपीए के संकट से जूझ रहा है। पिछले पांच सालों में एसबीआई का डूबा कर्ज पहले के मुकाबले तीन गुना तक इजाफा हो गया है।
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