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आखिर कैसे भारत में आया बोतल बंद पानी, बहुत ही दिलचस्प है कंपनी के सफर की कहानी

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बिज़नेस न्यूज डेस्क - बिसलेरी का नाम तो सभी ने सुना होगा। हाँ, वही बिसलेरी जिसका पानी हम पीते हैं। रमेश चौहान ने इस कंपनी को बेचने का फैसला किया है। टाटा ग्रुप के साथ उसकी डील पक्की हो गई है और माना जा रहा है कि यह डील 7000 करोड़ में हो सकती है। आज हम आपको इसी बिसलेरी की दिलचस्प कहानी के बारे में बताएंगे कि कैसे कंपनी ने करोड़ों का यह मुकाम हासिल किया है।बिसलेरी पानी की बोतल का नाम भारत में काफी लोकप्रिय हो गया है और बोलचाल में इसका इस्तेमाल किया जाता है। आज के समय में यह बोतल हर साइज में उपलब्ध है। बिसलेरी की बोतलें 250 एमएल, 500 एमएल, 1 लीटर, 1.5 लीटर, 2 लीटर, 5 लीटर और 20 लीटर में उपलब्ध हैं। यह इटली की कंपनी है और शुरुआत में यह कंपनी दवा का काम करती थी और मलेरिया की दवा बेचने का बिजनेस करती थी। इस कंपनी के संस्थापक फेलिस बिसलेरी की मृत्यु के बाद उनके पारिवारिक डॉक्टर ने इस कंपनी को आगे बढ़ाने की योजना बनाई।

बाद में फेलिस ने बिसलेरी नाम से पानी बेचने की योजना बनाई। इसके बाद इस कंपनी ने ख़ुशरु संताकू नाम के एक वकील के साथ मिलकर भारत में अपने कारोबार का विस्तार किया। शुरू में बाजार में पैकेज्ड पानी बेचना एक तरह का पागलपन था क्योंकि उस समय लोग सोचते थे कि बोतलबंद पानी कौन खरीदेगा और कौन पीएगा, लेकिन रॉसी को अपने बिजनेस प्लान पर पूरा भरोसा था। वर्ष 1965 में, उन्होंने ठाणे, मुंबई में पहला 'बिसलेरी जल संयंत्र' स्थापित किया। बाद में साल 1969 में पारले ने बिसलेरी इंडिया लिमिटेड को खरीद लिया था और शुरुआत में कांच की बोतलों में पानी बेचा जाता था। इसके बाद कारोबार को बढ़ाने के लिए पीवीसी नॉन-रिटर्न बोतलों की तरफ बढ़ने लगा है। आज के समय में कंपनी का टर्नओवर 20,000 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इसमें से 60 फीसदी असंगठित क्षेत्र में है। वहीं अगर इसके डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क की बात करें तो इसके पास 5000 ट्रकों के साथ 4500 से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूशन का नेटवर्क है।

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