जयपुर एस्ट्रो डेस्क: जो इस दुनिया में आया हैं उसे एक ना एक दिन जाना जरूर हैं अगर परिवार में किसी की मृत्यु हो गई हैं और उसके दाह संस्कार का अधिकार उसकी संतान को होता हैं कहा जाता है कि इससे मृतक की आत्मा को शांति प्राप्त होती हैं

लेकिन अगर दाह संस्कार करने के लिए उसकी संतान पास नहीं है, तो उनका इंतजार करने के लिए शव को घर में रोकर रखा जाता हैं इसके अलावा अगर सूर्यासत के बाद किसी की मृत्यु हुई है तो भी उसके शव को अगले दिन तक रोका जाता है क्योंकि गरुड़ पुराण में सूर्यासत के बाद अंतिम संस्कार करन की मनाही हैं इससे मृतक की आत्मा को अधोगति प्राप्त होती हैं और वो असुर, दानव या पिशाच योनि में जनम लेता हैं।

परिस्थितियां कैसी भी हो, लेकिन एक बात स्पष्ट है कि किसी भी हालात में कभी भी शव को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए किसी न किसी को शव के पास रहना जरूरी हैं वरना कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं गरुड़ पुराण में भी शव को अकेला न छोड़ने की बात कही गई है और इसके कुछ कारण भी बताए गए हैं तो आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।

रात में मृत शरीर को अकेला छोड़ना बड़ी परेशानी की वजह बन सकता हैं रात के समय तमाम बुरी आत्माएं सक्रिय होती हैं ऐसे में वे मृत के शरीर में प्रवेश कर सकती हैं और परिवार के लोगों के लिए भी संकट पैदा कर सकती हैं

शव को अकेला इसलिए भी नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि मरने के बाद मृतक की आत्मा वहीं शव के आसपास रहती हैं वो वापस उस शरीर में प्रवेश करना चाहती है क्योंकि उसका अपने शरीर से जुड़ाव होता हैं और अपनों की मोह माया उस आत्मा पर हावी होती हैं ऐसे में जब वो अपने लोगों को शव को अकेला छोड़ते देखती है तो उसे दुख होता हैं।

शव को अकेला छोड़ दिया जाए तो उसके आसपास लाल चींटियां या अन्य कीड़े मकौड़े आने का भय बना रहता हैं इसलिए कोई शव के पास बैठकर उसकी रखवाली करना जरूरी बताया गया हैं। रात में तांत्रिक क्रियाएं भी की जाती हैं ऐसे में शव को अकेले छोड़ने से मृत आत्मा संकट में पड़ सकती हैं इसलिए शव के आसपास किसी न किसी को जरूर होना चाहिए।


