आखिर क्यों इतना अधिक प्रसिद्ध है मनसा देवी मंदिर? जानें इससे जुड़े पौराणिक कथा
उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित मनसा देवी मंदिर न केवल एक पवित्र धार्मिक स्थल है, बल्कि यह लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था और भक्ति का केंद्र भी माना जाता है। हर साल यहां दूर-दूर से भक्त माता मनसा देवी के दर्शन करने आते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह मंदिर इतना प्रसिद्ध क्यों है और इसके पीछे कौन-कौन सी पौराणिक कथाएं जुड़ी हैं? आइए जानते हैं मनसा देवी मंदिर की पौराणिक कथा और इसके महत्व को।
मनसा देवी कौन हैं?
मनसा देवी को नागों की देवी के रूप में पूजा जाता है। इन्हें नाग माता भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में नागों का विशेष महत्व है, और सांप काटने की परेशानियों से बचाव के लिए श्रद्धालु मनसा देवी की आराधना करते हैं। कहा जाता है कि मनसा देवी नागों के राजा वासुकी की बहन हैं, और उनकी हमेशा सात नाग रक्षा करते हैं। पौराणिक ग्रंथों में मनसा देवी को विष कन्या भी कहा गया है, जिनका जन्म भगवान शिव के मानस से हुआ था।
मंदिर की स्थापना और इतिहास
मनसा देवी मंदिर का निर्माण राजा गोला सिंह ने सन 1811 से 1815 के बीच करवाया था। कहा जाता है कि राजा गोला सिंह मनसा देवी के अटूट भक्त थे और मंदिर के स्थान पर पहले एक गुफा थी, जहां से वे देवी के दर्शन किया करते थे। मन्नत पूरी होने पर उन्होंने मंदिर का निर्माण कराया।
यह मंदिर समुद्र मंथन से निकले अमृत की बूंदों वाले चार प्रमुख मंदिरों में से एक है, जिसे पवित्र माना जाता है। मंदिर में माता की दो मूर्तियां स्थापित हैं — एक जिसमें तीन मुख और पांच भुजाएं हैं, और दूसरी में आठ भुजाएं। माता कमल और सांप पर विराजमान हैं, जो उनके दैवीय स्वरूप को दर्शाता है।
मनसा देवी की पौराणिक कथा
स्कंद पुराण में मनसा देवी को दसवीं देवी बताया गया है। पुराणों के अनुसार, महिषासुर नामक राक्षस ने देवताओं को पराजित कर दिया था। तब देवताओं ने मनसा देवी को बुलाया, जिन्होंने महिषासुर का वध किया और देवताओं को मुक्ति दिलाई। इसके बाद देवताओं ने देवी की आराधना की और उनसे यह प्रार्थना की कि वे कलियुग में भी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करें।
एक अन्य कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल विष से संसार की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अपने गले में विष धारण किया था। इसके कारण उनका गला नीला पड़ गया। भगवान शिव के मानस से एक विष कन्या का जन्म हुआ, जिसने भोलेनाथ के गले का विष बाहर निकाला। इसी विष कन्या को मनसा देवी के रूप में पूजा जाने लगा।
क्यों मनसा देवी मंदिर है इतना प्रसिद्ध?
-
सांपों की रक्षा और सुरक्षा: मनसा देवी को नागों की देवी माना जाता है। सांप काटने से बचाव के लिए यहां दूर-दूर से भक्त आते हैं।
-
मन्नत पूर्ण होने की मान्यता: यहां रस्सी बांधकर भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने की कामना करते हैं। माना जाता है कि मनसा देवी अपनी भक्तों को निराश नहीं करतीं।
-
पौराणिक महत्व: यह मंदिर समुद्र मंथन की कथा और विष कन्या की पौराणिक कहानियों से जुड़ा है, जो इसे अत्यंत पवित्र बनाता है।
-
सांस्कृतिक धरोहर: हरिद्वार में स्थित यह मंदिर धार्मिक पर्यटन के लिए प्रमुख स्थल है, जो क्षेत्र की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को दर्शाता है।

