हरियाली अमावस्या पर नान्दीमुख श्राद्ध करना क्यों माना जाता है शुभ? जान लें इसका लाभ
भारतीय संस्कृति में श्राद्ध कर्मों का विशेष महत्व है। पितृों की शांति और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए विभिन्न प्रकार के श्राद्ध किए जाते हैं। इनमें से एक प्रमुख और शुभ श्राद्ध है नांदीमुख श्राद्ध, जिसे सामान्य श्राद्ध से अलग माना जाता है। इसे करने से न केवल पितृ प्रसन्न होते हैं, बल्कि आपके सभी शुभ कार्यों में कोई बाधा नहीं आती।
नांदीमुख श्राद्ध क्या है?
नांदीमुख श्राद्ध को अभ्युदैक श्राद्ध भी कहा जाता है। "नांदी" का अर्थ होता है आनंद और "मुख" का अर्थ है आरंभ। अतः नांदीमुख का शाब्दिक अर्थ हुआ — जीवन में खुशियों की शुरुआत। इस श्राद्ध का उद्देश्य है जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन।
यह श्राद्ध किसी भी अमावस्या तिथि या शुभ अवसर पर किया जा सकता है और इसका भूत श्राद्ध से कोई संबंध नहीं होता। नांदीमुख श्राद्ध विशेषकर शुभ कार्यों जैसे विवाह, गृह प्रवेश, या अन्य मंगल कार्यों से पहले किया जाता है ताकि पितृ कृपा से सभी कार्य सफल हो सकें और जीवन में हर क्षेत्र में उन्नति हो।
हरियाली अमावस्या और नांदीमुख श्राद्ध
सावन मास की हरियाली अमावस्या को पितृ मुक्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। यह अमावस्या सावन महीने की अंतिम अमावस्या होती है, जो इस वर्ष 24 जुलाई को मनाई जाएगी। इस दिन नांदीमुख श्राद्ध करने से पितृदोष निवारण होता है, आत्मा को शांति मिलती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि इस अमावस्या पर नांदीमुख श्राद्ध किया जाए तो न केवल पितृ प्रसन्न होते हैं बल्कि आपके सभी मंगल कार्य बाधा रहित सम्पन्न होते हैं। साथ ही जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
नांदीमुख श्राद्ध कैसे करें?
शास्त्रों के अनुसार नांदीमुख श्राद्ध करने की विधि में निम्नलिखित प्रमुख अनुष्ठान शामिल हैं:
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मातृका पूजन और वसोर्धारा – श्राद्ध की शुरुआत मातृका पूजन से होती है, जिसके बाद वसोर्धारा किया जाता है। यह पितृपूजा का पहला चरण माना जाता है।
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सपिंड, पिंड रहित, अमन्न और हेम श्राद्ध – इन अनुष्ठानों में पिंडदान का भी समावेश होता है, जो पितृ की तृप्ति के लिए आवश्यक है।
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शुद्धि और आचमन – श्राद्ध के पूर्व शुद्धि और आचमन जैसे शारीरिक एवं मानसिक शुद्धिकरण की क्रियाएं की जाती हैं।
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शिखा बंधन और आसन शुद्धि – ये कर्म संस्कारों को पूरा करते हैं।
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प्राणायाम और पंचगव्य निर्माण – शरीर और मन को पवित्र करने के लिए प्राणायाम तथा पंचगव्य का निर्माण होता है।
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संकल्प और ब्राह्मण भोजन – अंत में संकल्प लेकर ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है, जो श्राद्ध का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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पिंडदान और आशीर्वाद – पिंडदान से पितृ प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
नांदीमुख श्राद्ध के लाभ
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शुभ कार्यों में बाधा न आए – इस श्राद्ध को करने से विवाह, गृह प्रवेश या कोई भी शुभ कार्य बिना किसी बाधा के संपन्न होता है।
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पितृ कृपा प्राप्त होती है – पितृगण प्रसन्न होकर आपके जीवन को सफल और सुखमय बनाते हैं।
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देवताओं की कृपा भी मिलती है – नांदीमुख श्राद्ध से न केवल पितृ, बल्कि देवता भी खुश होते हैं।
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सर्प दोष से मुक्ति – यह श्राद्ध सर्प दोष को दूर करने में भी सहायक होता है।
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परिवार में सुख-समृद्धि – पूरे परिवार का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और जीवन में समृद्धि आती है।

