घर में क्यों जरूरी होता है ब्रह्म स्थान, घर की ऊर्जा को रोक सकती है ये छोटी-सी लेकिन भारी गलती, जानें इससे जुड़े वास्तु नियम

घर सिर्फ ईंट-पत्थर की संरचना नहीं है, यह ऊर्जा का केंद्र है। इस ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा ब्रह्मस्थान कहलाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, यह घर का हृदय होता है। यह वह स्थान है, जहां भगवान ब्रह्मा का वास माना जाता है, जिन्हें सृष्टि का रचयिता कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि घर की सारी सकारात्मक ऊर्जा यहीं से चारों दिशाओं में फैलती है। इस विषय पर अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी और वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा।
क्या होता है ब्रह्मस्थान?
ब्रह्मस्थान घर का बिल्कुल बीच का हिस्सा होता है। कोई कोना नहीं, कोई दीवार नहीं, कोई भारी सामान नहीं। यह स्थान खुला, हल्का और साफ-सुथरा होना चाहिए। जब यह स्थान खुला और सही तरीके से बना होता है, तो घर में रहने वाले लोगों के जीवन में संतुलन, शांति और प्रगति होती है। लेकिन जैसे ही इस स्थान में कोई बाधा आती है - जैसे दीवार, खंभा या भारी फर्नीचर - ऊर्जा का प्रवाह धीमा हो जाता है।
ब्रह्मस्थान में दीवार क्यों नहीं होनी चाहिए?
मान लीजिए आपने घर का नक्शा बनाया और बिना ध्यान दिए बीच में दीवार या खंभा बन गया। पहली नज़र में यह आपको सामान्य लग सकता है, लेकिन वास्तु की नज़र से यह बहुत बड़ा दोष है। जब ब्रह्मस्थान में रुकावट होती है, तो यहाँ से चारों दिशाओं में फैलने वाली ऊर्जा धीमी हो जाती है। इसका सबसे पहले स्वास्थ्य, मन की शांति और रहने वालों की आगे बढ़ने की क्षमता पर असर पड़ता है।
ब्रह्मस्थान में रुकावट के कारण होने वाले कुछ सामान्य लक्षण हैं:
- काम में बेवजह रुकावट
- लगातार तनाव या मानसिक उलझन
- घर के सदस्यों के बीच झगड़े
- पैसा नहीं टिकता या काम करना बंद कर देता है
कैसे पहचानें कि ब्रह्मस्थान में रुकावट है?
अगर घर में बार-बार फ़र्न है तो घर में है। बार-बार देखें अच्छे घर में है। इसके लिए किसी अनुभवी वास्तु सलाहकार से घर के केंद्र बिंदु की जाँच करवाना ज़रूरी है।
क्या है उपाय?
अगर घर में ब्रह्मस्थान पर पहले से ही दीवार या खंभा बना हुआ है तो घबराने की जरूरत नहीं है। कुछ आसान उपायों से इसके प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है-
- उस स्थान को हल्का और खाली रखें
- वहां कोई धार्मिक या सकारात्मक प्रतीक रखें
- वहां प्रतिदिन दीपक या धूपबत्ती जलाकर ऊर्जा को सक्रिय करें
- दर्पण या पीतल से बने विशेष वास्तु उपकरणों का उपयोग करें