पूजा करते हुए कोई बीच में आ जाए, आवाज दे, कुछ पूछे या बच्चा रोने लगे तो क्या करें? प्रेमानंद महाराज से जानें नियम

सनातन धर्म के लोगों के लिए देवी-देवताओं की पूजा का विशेष महत्व है। कुछ लोग सुबह-शाम पूजा करते हैं तो कुछ लोग कई घंटों तक भक्ति में लीन रहते हैं। हालाँकि, कई बार पूजा करते समय व्यक्ति को विभिन्न बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जिसे वह नकारात्मकता से जोड़ देता है। इसके अलावा पूजा के दौरान घर में मेहमानों का आना, घर के बड़े-बुजुर्गों का शोर मचाना या बच्चे का रोना-धोना आम बात है। लेकिन इस स्थिति में भक्त को क्या करना चाहिए? कभी-कभी आपके मन में यह सवाल आया होगा कि क्या पूजा को बीच में रोकना सही है? क्या यह पाप नहीं होगा? क्या भगवान नाराज नहीं होंगे? आदि आदि। जब एक भक्त ने संत प्रेमानंद महाराज से यह प्रश्न पूछा तो उनका उत्तर क्या था? आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं।
क्या पूजा बीच में ही छोड़ देनी चाहिए?
एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से पूछा कि 'जब हम पूजा कर रहे हों और उसी समय कोई बच्चा रोने लगे या कोई आवाज करे, तो क्या ऐसी स्थिति में हमें पूजा रोक देनी चाहिए?', इस पर बाबा ने उत्तर दिया कि 'यदि आपमें से कोई पूज्य व्यक्ति आया हो तो ऐसी स्थिति में पूजा रोक देनी चाहिए। पूजा के दौरान यदि आपके घर कोई संत या अतिथि आए हों तो भगवान को प्रणाम कर पूजा रोक देनी चाहिए। सबसे पहले, अतिथि को विनम्रतापूर्वक बैठाएं और उनसे जलपान के लिए पूछें। फिर उनसे प्रार्थना करो कि हम पूजा कर रहे थे। यदि यह आपका आदेश है तो पहले अपनी पूजा पूरी करें।'
इसके बाद भक्त ने पूछा कि 'अगर हम घर में अकेले हों और उसी समय बच्चा रोने लगे या कोई आवाज करे तो हमें क्या करना चाहिए?' इसका उत्तर देते हुए प्रेमानंद महाराज ने कहा, 'ऐसी स्थिति में व्यक्ति को उत्तर देना चाहिए और पूजा-पाठ छोड़कर बच्चे की देखभाल करनी चाहिए। भगवान् बच्चों में वास करते हैं. यदि वह असंतुष्ट हो तो उसे दूध पिलाएं, दुलारें और फिर पूजा शुरू करें।'
प्रेमानंद महाराज कौन हैं?
धर्म गुरु प्रेमानंद महाराज एक प्रसिद्ध कथावाचक हैं, जो सत्संग और निजी वार्ता के माध्यम से लोगों को सनातन धर्म से जुड़े नियमों, उपायों और मुख्य बिंदुओं की जानकारी देते हैं। निजी बातचीत के दौरान बाबा भक्तों की समस्याएं सुनते हैं और उनका समाधान बताते हैं।