कभी न सोएं दरवाजे के सामने, इससे जल्दी आती है मौत!
भारत में वास्तु शास्त्र की तरह ही चीन में लोग फेंगशुई पर बहुत भरोसा करते हैं। यह एक ऐसी विद्या है जो प्रकृति की शक्ति के बेहतरीन उपयोग पर जोर देती है। इसका मकसद मानव को सुखी बनाना है। फेंगशुई के कई सिद्धांत आज पूरे विश्व में लोकप्रिय हो रहे हैं। चीन से लेकर जापान, अमरीका, अरब और हिंदुस्तान में भी फेंगशुई पर विश्वास करने वालों की बड़ी तादाद है। जानिए, इसके उन सिद्धांतों के बारे में जिसने बनाया इसे लोकप्रिय।
— फेंगशुई का नियम है कि सकारात्मक ऊर्जा को ज्यादा से ज्यादा ग्रहण करना चाहिए। इसलिए खुली खिड़की की तरफ बैठना इसके नियमों के अनुसार ठीक नहीं है। माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति खिड़कियों को खोलकर उनकी तरफ मुंह कर बैठता है तो उसके सौभाग्य को बढ़ावा देने वाली शक्ति बाहर चली जाती है। उसका मुंह अंदर की ओर ही होना चाहिए।
— आप जिस कमरे में काम करते हैं या पढ़ते—लिखते हैं, उसकी दीवारों का खास ख्याल रखना चाहिए। अगर कमरे की दीवारें बदरंग, मैली और घटिया रंग से युक्त हैं तो वहां नकारात्मक शक्ति ज्यादा होगी। ऐसे स्थान पर बैठने वाला व्यक्ति कुंठित, तनावग्रस्त और क्रोधी हो सकता है। अत: दीवारों पर हल्का और मन को प्रसन्नता देने वाला रंग होना चाहिए।
— कमरे की खाली दीवारें भी मनुष्य के मन को प्रभावित करती हैं। दीवारों पर सुंदर तस्वीरें, चित्र और पेंटिंग्स का असर उस स्थान पर रहने वाले व्यक्ति के मन पर होता है। सुंदर पहाड़, झरने, पुष्प, प्रकृति आदि के चित्र मन में सकारात्मक विचार लाते हैं। कक्ष जिस कार्य के लिए हो, उसमें उसकी प्रकृति के अनुसार ही चित्र लगाने चाहिए।
— वास्तु शास्त्र के अनुसार फेंगशुई में भी शयन कक्ष के कई नियम हैं। इनमें शयन के लिए शुभ—अशुभ दिशा का निर्धारण किया गया है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि फेंगशुई के अनुसार दरवाजे के ठीक सामने सोना वर्जित माना गया है। मान्यता है कि इससे व्यक्ति की जीवन शक्ति समाप्त होती है और वह शीघ्र ही मृत्यु को प्राप्त होता है। इसीलिए चीन में मृत शरीर को दरवाजे के सामने रखा जाता है।
ये भी पढ़िए
ट्रंप भारत के दुश्मन होंगे या अच्छे दोस्त? जानिए क्या कहती है इनकी कुंडली
मौत से भी जीत गया वह संत, 465 साल बाद यहां सुरक्षित रखा है इनका शरीर
पिछले 200 वर्षों से रोज बढ़ रहा है यह शालिग्राम, मटर के दाने जितना था, आज नारियल से भी बड़ा है
इस देश में भी है एक रामसेतु, सिर्फ 2 घंटे दर्शन देकर लेता है जल में समाधि
जर्मनी में मिली 32 हजार साल पुरानी नृसिंह भगवान की यह मूर्ति