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हनुमान जी का ये मंदिर है बेहद विचित्र स्थान, यहाँ से कोई भक्त अपने घर प्रसाद नहीं ले जाता, वीडियो में जानें क्यों ?

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भारत में हनुमान जी के अनगिनत मंदिर हैं, लेकिन कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जो अपनी अनोखी मान्यताओं और रहस्यमयी परंपराओं के कारण खास पहचाने जाते हैं। ऐसा ही एक मंदिर है राजस्थान के अलवर जिले में स्थित "मेंहदीपुर बालाजी मंदिर", जहां लाखों श्रद्धालु भूत-प्रेत बाधाओं और तांत्रिक प्रभावों से छुटकारा पाने के लिए आते हैं।

इस मंदिर की सबसे रहस्यमयी परंपरा यह है कि यहाँ से कोई भी भक्त प्रसाद अपने घर नहीं ले जाता। जबकि देश के अधिकतर मंदिरों में भक्त प्रसाद घर ले जाकर अपने परिवार को खिलाते हैं और पुण्य कमाते हैं, पर मेहंदीपुर बालाजी में यह सख्त मना है। इसका कारण जानकर आप भी चौंक जाएंगे।

क्या है मेंहदीपुर बालाजी मंदिर की विशेषता?

मेंहदीपुर बालाजी मंदिर हनुमान जी को समर्पित है, लेकिन यह आम हनुमान मंदिरों से बहुत अलग है। यह स्थान उन लोगों के लिए विशेष माना जाता है जो भूत-प्रेत, ऊपरी बाधा, नजर दोष या तांत्रिक परेशानियों से ग्रस्त होते हैं। यहां तीन प्रमुख देवताओं की पूजा होती है – बालाजी महाराज (हनुमान जी), भैरव बाबा और प्रेतराज सरकार

मंदिर में प्रतिदिन झाड़-फूंक, पूजा, और विशेष अनुष्ठान होते हैं। भक्त यहां आकर बालाजी से अपने कष्टों से मुक्ति की कामना करते हैं और अनेक चमत्कारी घटनाओं का अनुभव करते हैं।

प्रसाद घर क्यों नहीं ले जाते?

इस मंदिर में प्रसाद चढ़ाना तो होता है, लेकिन इसे घर ले जाना सख्त वर्जित है। इसके पीछे एक मान्यता है कि इस मंदिर का प्रसाद उन आत्माओं को अर्पित किया जाता है जो बालाजी के दरबार में मुक्ति की तलाश में आती हैं।

यदि कोई भक्त अनजाने में भी यह प्रसाद अपने घर ले जाता है, तो माना जाता है कि उन आत्माओं में से कोई एक उसके साथ घर तक चली जाती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में परेशानियाँ शुरू हो सकती हैं।

स्थानीय पुजारियों और श्रद्धालुओं के अनुसार, ऐसा पहले कई बार हुआ है, जब लोगों ने प्रसाद घर ले जाकर कठिनाइयों का सामना किया। कुछ लोगों ने तो अपशकुन, बीमारी और मानसिक तनाव की शिकायतें भी की हैं।

इसलिए मंदिर प्रशासन और संत लगातार यह चेतावनी देते हैं कि भक्त मंदिर परिसर में ही प्रसाद ग्रहण करें और बचे हुए प्रसाद को वहीं रख दें।

वीडियो में देखें रोंगटे खड़े करने वाला रहस्य

हाल ही में एक वायरल वीडियो में इस परंपरा के पीछे की रहस्यमयी घटनाओं को दर्शाया गया है। वीडियो में कई श्रद्धालुओं के अनुभव और चमत्कारी घटनाएं भी साझा की गई हैं, जिससे यह साफ होता है कि यह परंपरा सिर्फ आस्था नहीं, अनुभव पर भी आधारित है।

👉 [वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें] (यहां वीडियो लिंक डाला जा सकता है)

निष्कर्ष

मेंहदीपुर बालाजी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक ऐसा चमत्कारी स्थान है जहां श्रद्धा और रहस्य एक साथ चलते हैं। प्रसाद को घर न ले जाने की परंपरा बताती है कि हर धार्मिक नियम के पीछे कोई न कोई अनुभवजन्य और आध्यात्मिक कारण छिपा होता है। यदि आप भी कभी इस मंदिर जाएं, तो इन मान्यताओं का पालन जरूर करें और बालाजी महाराज की कृपा का अनुभव करें।

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