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दुनिया का ऐसा इकलौता मंदिर जहां होती है बिना सूंड वाले भगवान गणेश की पूजा, वीडियो में जानें इसका इतिहास 

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नर्मदा के तट पर बसे इस शहर के प्राचीन मंदिरों का इतिहास बताता है कि यहां सदियों से भक्त पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं। मंदिरों की संरचना से इसके कोण और वास्तुकला का भी अनुमान लगाया जा सकता है। हम आपको एक ऐसे गणेश मंदिर के बारे में बताएंगे जो पहाड़ पर है। भगवान गणेश यहां ऋद्धि-सिद्धि के साथ विराजमान हैं और अपने श्रृंगार के लिए प्रसिद्ध हैं।

13वीं सदी से भक्तों पर बरस रही है कृपा

पोलीपाथर स्थित बादशाह हलवाई मंदिर में स्थापित प्राचीन 16 भुजाओं वाले गणेश भगवान 13वीं शताब्दी से भक्तों पर आशीर्वाद बरसाते आ रहे हैं। मंदिर के पुजारी राम गोपाल दुबे (78) ने बताया कि वह 1955 से मंदिर में पूजा-अर्चना कर रहे हैं। जब वे चित्रकूट से पढ़कर नगर पहुंचे तो मंदिर निर्जन था और चारों ओर जंगल था। तब से वह यहीं प्रभु की सेवा कर रहे हैं। वर्तमान में इस मंदिर के मुख्य द्वार को प्रशासन द्वारा नया रूप दिया गया है।

चारों युगों के भगवान की मूर्तियां हैं यहां

इस मंदिर का उल्लेख इतिहास के पन्नों में मिलता है। इस मंदिर का निर्माण गोंड शासकों के समय का है। इसके संगमरमर के स्तंभ पर 27 नक्षत्रों, नवग्रहों और दिशाओं की मूर्तियां अंकित हैं। इसके अलावा चारों युगों के देवताओं की मूर्तियां भी बनाई गई हैं। मंदिर के ऊपरी भाग में श्री यंत्र भी बना हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान गणेश की यह मूर्ति 13वीं शताब्दी की है।

कामना की पूर्ति

मंदिर के पुजारी कहते हैं कि भगवान गणेश अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। यही कारण है कि प्राचीन प्रतिमा को देखने के लिए शहर के साथ-साथ दूर-दूर से भी श्रद्धालु यहां आते हैं। लोग भगवान के दरबार में विशेष रूप से धन प्राप्ति और संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। लोग यहां सुबह से शाम तक पूजा करने आते हैं।

मंदिर के पास एक गुफा स्थित है

मंदिर के पीछे एक गुफा है। जिसका दरवाजा अभी भी खुला है, जानवरों के कारण लोग कुछ सीढ़ियां नीचे नहीं जा पा रहे हैं। कहा जाता है कि रानी दुर्गावती मदनमहल किले से गुफा के रास्ते इस मंदिर में पूजा करने आती थीं। राजाघाट (लालपुर) में एक गुफा है जहां रानी नर्मदा स्नान करती थीं।

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