ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: प्रभु श्रीराम के भक्तों की दुनिया भर में कोई कमी नहीं हैं भगवान विष्णु के सातवें अवतार माने गए श्रीराम इतिहास के सबसे आदर्श पुरुषों में गिने जाते हैं पुराणों में उन्हें श्रेष्ठ राजा बताया गया हैं उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया।

वह मनुष्य रूप में जन्में और ऋषि विश्वामित्र से विद्योपार्जन के उपरांत पृथ्वी पर उन्होंने असंख्य राक्षसों का संहार किया। सत्य, धर्म, दया और मर्यादाओं पर चलते हुए राज किया। उन्होंने जिस तरह राज किया उसे राम राज कहा गया। तो आज हम आपको प्रभु श्रीराम के उन गुणों के बारे में बता रहे हैं जिनके द्वारा वे मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाएं, तो आइए जानते हैं।

धर्म ग्रंथों में श्रीराम को सबसे आदर्श पुरुष माना गया हैं सांसारिक जीवन में आगे बढ़ने, नाम कमाने यानी ख्याति, यश, कीर्ति के लिए सद्गुणों और अच्छे कार्मों की बड़ी भूमिका होती हैं क्योंकि गुण ही किसी भी इंसान को असाधारण और विलक्षण प्रतिभा का स्वामी बना देते हैं इंसान को अपने जीवन में सफल होने के लिए खास गुणों पर ध्यान देना चाहिए ये रामायण में रामजी के चरित्र के माध्यम से बताया गया हैं। श्रीराम ने मानवीय रूप में जन जन का भरोसा और विश्वास अपने आचरण और असाधारण गुणों से ही पाया। उनकी चरित्र की खास खूबियों से ही वह न केवल लोकनाकय बने, बल्कि युगान्तर में भी भगवान के रूप में पूजित हुए।

जानिए प्रभु श्रीराम के सोलह गुण—
- गुणवान (ज्ञानी व हुनरमंद)
- किसी की निंदा न करने वाला (सकारात्मक)
- धर्मज्ञ (धर्म के साथ प्रेम, सेवा और मदद करने वाला)
- कृतज्ञ (विनम्रता और अपनत्व से भरा)
- सत्य (सच बोलने वाला, ईमानदार)
- दृढ़प्रतिज्ञ (मजबूत हौंसले वाला)
- सदाचारी (अच्छा व्यवहार, विचार)
- सभी प्राणियों का रक्षक (मददगार)
- विद्वान (बुद्धिमान और विवेक शील)
- सामथ्र्यशाली (सभी का भरोसा, समर्थन पाने वाला)
- प्रियदर्शन (खूबसूरत)
- मन पर अधिकार रखने वाला (धैर्यवान व व्यसन से मुक्त)
- क्रोध जीतने वाला (शांत और सहज)
- कांतिमान (अच्छा व्यक्तित्व)
- वीर्यवान (स्वस्थ्य, संयमी और हष्ट-पुष्ट)
- युद्ध में जिसके क्रोधित होने पर देवता भी डरें (जागरूक, जोशीला, गलत बातों का विरोधी)


