Samachar Nama
×

पैसों की तंगी से छुटकारा दिला सकते हैं शुक्रवार के खास उपाय

www.samacharnama.com

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: आज शुक्रवार का दिन है जो कि माता लक्ष्मी की साधना को समर्पित किया गया है इस दिन भक्त देवी मां की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से देवी की कृपा बरसती है लेकिन इसी के साथ ही अगर शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की साधना के दौरान धन लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ भक्ति भाव से किया जाए तो धन संबंधी समस्याओं से राहत मिल जाती है और आर्थिक पक्ष मजबूत होता है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ये चमत्कारी पाठ। 

Do these easy remedies on Friday puja 

श्री धनलक्ष्मी स्तोत्र
श्री धनदा उवाच ।

देवी देवमुपागम्य नीलकण्ठं मम प्रियम् ।
कृपया पार्वती प्राह शङ्करं करुणाकरम् ॥ १ ॥

श्री देव्युवाच ।

ब्रूहि वल्लभ साधूनां दरिद्राणां कुटुम्बिनाम् ।
दरिद्रदलनोपायमञ्जसैव धनप्रदम् ॥ २ ॥

श्री शिव उवाच ।

पूजयन् पार्वतीवाक्यमिदमाह महेश्वरः ।
उचितं जगदम्बासि तव भूतानुकम्पया ॥ ३ ॥

स सीतं सानुजं रामं साञ्जनेयं सहानुगम् ।
प्रणम्य परमानन्दं वक्ष्येऽहं स्तोत्रमुत्तमम् ॥ ४ ॥

धनदं श्रद्धधानानां सद्यः सुलभकारकम् ।
योगक्षेमकरं सत्यं सत्यमेव वचो मम ॥ ५ ॥

Do these easy remedies on Friday puja 

पठन्तः पाठयन्तोऽपि ब्राह्मणैरास्तिकोत्तमैः ।
धनलाभो भवेदाशु नाशमेति दरिद्रता ॥ ६ ॥

भूभवांशभवां भूत्यै भक्तिकल्पलतां शुभाम् ।
प्रार्थयेत्तां यथाकामं कामधेनुस्वरूपिणीम् ॥ ७ ॥

धनदे धर्मदे देवि दानशीले दयाकरे ।
त्वं प्रसीद महेशानि यदर्थं प्रार्थयाम्यहम् ॥ ८ ॥

धराऽमरप्रिये पुण्ये धन्ये धनदपूजिते ।
सुधनं धार्मिके देहि यजमानाय सत्वरम् ॥ ९ ॥

रम्ये रुद्रप्रिये रूपे रामरूपे रतिप्रिये ।
शिखीसखमनोमूर्ते प्रसीद प्रणते मयि ॥ १० ॥

आरक्तचरणाम्भोजे सिद्धिसर्वार्थदायिके ।
दिव्याम्बरधरे दिव्ये दिव्यमाल्यानुशोभिते ॥ ११ ॥

समस्तगुणसम्पन्ने सर्वलक्षणलक्षिते ।
शरच्चन्द्रमुखे नीले नीलनीरजलोचने ॥ १२ ॥

चञ्चरीक चमू चारु श्रीहार कुटिलालके ।
मत्ते भगवती मातः कलकण्ठरवामृते ॥ १३ ॥

हासाऽवलोकनैर्दिव्यैर्भक्तचिन्तापहारिके ।
रूप लावण्य तारूण्य कारूण्य गुणभाजने ॥ १४ ॥

क्वणत्कङ्कणमञ्जीरे लसल्लीलाकराम्बुजे ।
रुद्रप्रकाशिते तत्त्वे धर्माधारे धरालये ॥ १५ ॥

Do these easy remedies on Friday puja 

प्रयच्छ यजमानाय धनं धर्मैकसाधनम् ।
मातस्त्वं मेऽविलम्बेन दिशस्व जगदम्बिके ॥ १६ ॥

कृपया करुणागारे प्रार्थितं कुरु मे शुभे ।
वसुधे वसुधारूपे वसुवासववन्दिते ॥ १७ ॥

धनदे यजमानाय वरदे वरदा भव ।
ब्रह्मण्यैर्ब्राह्मणैः पूज्ये पार्वतीशिवशङ्करे ॥ १८ ॥

स्तोत्रं दरिद्रताव्याधिशमनं सुधनप्रदम् ।
श्रीकरे शङ्करे श्रीदे प्रसीद मयि किङ्करे ॥ १९ ॥

पार्वतीशप्रसादेन सुरेशकिङ्करेरितम् ।
श्रद्धया ये पठिष्यन्ति पाठयिष्यन्ति भक्तितः ॥ २० ॥

सहस्रमयुतं लक्षं धनलाभो भवेद्ध्रुवम् ।
धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च ।
भवन्तु त्वत्प्रसादान्मे धनधान्यादिसम्पदः ॥ २१ ॥

इति श्री धनलक्ष्मी स्तोत्र ।

Do these easy remedies on Friday puja 

Share this story