"Shukra Pradosh Vrat" पंचग्रही योग में शुक्र प्रदोष व्रत, जानें प्रदोष काल का समय, पूजा विधि और शिव आरती
शुक्रवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh Vrat 2025) के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत करने वाले साधक पर शिव जी की विशेष कृपा बनी रहती है। ऐसे में इस शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करके आप लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
पाएँ ये लाभ
मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने वाले साधक को पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही शिव जी की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं, शुक्र ग्रह की शांति के लिए भी यह व्रत अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। साथ ही, प्रदोष व्रत करने से भक्तों की मनोकामनाएँ भी पूरी होती हैं।
भगवान शिव की पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें। इसके बाद मंदिर की सफाई करें और गंगाजल छिड़कें। एक चौकी पर साफ लाल कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद शिवजी को बेलपत्र, धतूरा, दूध, दही, शहद, घी और भांग आदि अर्पित करें।
इसके साथ ही खीर, फल और हलवे आदि का भोग लगाएँ। पूजा में माता पार्वती को सोलह श्रृंगार अर्पित करें। पूजा के दौरान 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें। अंत में दीपक जलाकर भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें और पूजा का प्रसाद सभी लोगों में बाँट दें। इस दिन भगवान शिव की पूजा कुछ इस प्रकार होगी -
प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त - शाम 6:38 से रात 8:55 तक
शिव जी के मंत्र
1. ॐ नमः शिवाय
2. ॐ नमो भगवते रूद्राय
3. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात
4. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्
5. कर्पूरगौरं करुणावतारं
संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् ।
सदावसन्तं हृदयारविन्दे
भवं भवानीसहितं नमामि ॥

