Samachar Nama
×

Sakat chauth vrat katha: बिना व्रत कथा के पूर्ण नहीं होता कोई व्रत, तो जरूर पढ़ें सकट चौथ की व्रत कथा

पंचांग के मुताबिक माघ मास में पड़ने वाली सकट चौथ का व्रत इस बार 31 जनवरी दिन रविवार यानी की मनाया जाएगा। यह व्रत महिलाओं के लिए खास महत्व रखता हैं सकट चौथ व्रत के दिन चंद्रमा को जल देने के बाद ही व्रत पूरा होता हैं इस दिन को संकष्टी चतुर्थी, सकट चौथ, वक्रतुण्डी
Sakat chauth vrat katha: बिना व्रत कथा के पूर्ण नहीं होता कोई व्रत, तो जरूर पढ़ें सकट चौथ की व्रत कथा

पंचांग के मुताबिक माघ मास में पड़ने वाली सकट चौथ का व्रत इस बार 31 जनवरी दिन रविवार यानी की मनाया जाएगा। यह व्रत महिलाओं के लिए खास महत्व रखता हैं सकट चौथ व्रत के दिन चंद्रमा को जल देने के बाद ही व्रत पूरा होता हैं इस दिन को संकष्टी चतुर्थी, सकट चौथ, वक्रतुण्डी चतुर्थी, माघी चौथ या तिलकुटा चौथ के नाम से जाना जाता हैं तो आज हम आपको सकट चौथ से जुड़ी व्रत कथा बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।Sakat chauth vrat katha: बिना व्रत कथा के पूर्ण नहीं होता कोई व्रत, तो जरूर पढ़ें सकट चौथ की व्रत कथा

जानिए व्रत कथा—
कथा अनुसार किसी नगर में एक कुम्हार रहता था। एक बार जब उसने बत्रन बनाकर आंवा लगाया तो आंवां नहीं पका। परेशान होकर वह राजा के पास गया और अपनी परेशानी बताई। तब राजा ने राजपंडित को बुलाकर कारण पूछा। राजपंडित ने कहा, हर बार आंवा लगाते समय एक बच्चे की बलि देने से बांवा पक जाएगा। Sakat chauth vrat katha: बिना व्रत कथा के पूर्ण नहीं होता कोई व्रत, तो जरूर पढ़ें सकट चौथ की व्रत कथाराजा का आदेश हो गया। बलि आरम्भ हुई। जिस परिवार की बारी होती वह अपने बच्चों में से एक बच्चा बलि के लिए भेज देता। इस तरह कुछ दिन बाद एक बुढ़िया के लड़के की बारी आई। बुढ़िय के एक ही बेटा था तथा उसके जीवन का सहारा था। पर राजाज्ञा कुछ नहीं देखती हैं दुखी बुढ़िया सोचने लगी। मेरा एक ही बेटा है वह भी सकट के दिन मुझ से जुदा हो रहा हैं। तभी उसको एक उपाय आया। उसने लड़के को सकट की सुपारी और दूर्वा का बीड़ा देकर कहा, भगवान का नाम लेकर आंवा में बैठ जाना। सकट माता तेरी रक्षा करेगी।Sakat chauth vrat katha: बिना व्रत कथा के पूर्ण नहीं होता कोई व्रत, तो जरूर पढ़ें सकट चौथ की व्रत कथा

सकट के दिन बालक आंवा में बिठा दिया गया और बुढ़िया सकट माता के सामने बैठकर पूजा प्रार्थना करने लगी। पहले तो आंवा पकने में कई दिन लग जाते थे पर इस बार सकट माता की कृपा से एक ही रात में आंवा पक गया। सवेरे कुम्हार ने देखा तो हैरान रह गया। आंवा पक गया था और बुद्धिया का बेटा जीवित व सुरक्षित था। सकट माता की कृपा से नगर के अन्य बालक भी जी उठे। यह देख नगरवासियों ने माता सकट की महिमा स्वीकार कर ली। तब से आज तक सकट माता की पूजा और व्रत का विधान चला आ रहा हैं।

Sakat chauth vrat katha: बिना व्रत कथा के पूर्ण नहीं होता कोई व्रत, तो जरूर पढ़ें सकट चौथ की व्रत कथा

Share this story