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आज करें संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ, गंभीर संकट से मिलेगी मुक्ति

sankat mochan hanuman ashtak read this during hanuman puja

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: आज मंगलवार का दिन हैं और ये दिन हनुमान जी को समर्पित हैं रामायण के अनुसार वे जानकी के अत्यधिक प्रिय है मान्यता है कि धरती पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त हुआ है उनमें से एक बजरंगबली भी हैं

sankat mochan hanuman ashtak read this during hanuman puja

इनका अवतार पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम की मदद के लिए हुआ था। इनके पराक्रम की अनगिनत गाथाएं हैं इन्हें बजरंगबली भी कहा जाता हैं इनका शरीर एक वज्र की तरह हैं हनुमान जो को पालने में वायु और पवन ने बेहद अहम भमिका अदा की हैं।

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ऐसे में इन्हें पवनपुत्र भी कहा जाता हैं जब भी इनकी पूजा की जाती हैं तो संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ करना बेहद ही शुभ होता हैं अगर ​इसका पाठ नियमित किया जाए तो भक्तों को उनके गंभीर संकट से भी मुक्ति मिल जाती हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए है हनुमान अष्टक।

Sankat mochan hanuman ashtak read this during hanuman puja 

॥ हनुमानाष्टक ॥

बाल समय रवि भक्षी लियो तब,

तीनहुं लोक भयो अंधियारों।

ताहि सों त्रास भयो जग को,

यह संकट काहु सों जात न टारो।

देवन आनि करी बिनती तब,

छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।

को नहीं जानत है जग में कपि,

संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥

बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,

जात महाप्रभु पंथ निहारो।

चौंकि महामुनि साप दियो तब,

चाहिए कौन बिचार बिचारो।

कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,

सो तुम दास के सोक निवारो ॥ २ ॥

अंगद के संग लेन गए सिय,

खोज कपीस यह बैन उचारो।

जीवत ना बचिहौ हम सो जु,

बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो।

हेरी थके तट सिन्धु सबे तब,

लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ३ ॥

रावण त्रास दई सिय को सब,

राक्षसी सों कही सोक निवारो।

ताहि समय हनुमान महाप्रभु,

जाए महा रजनीचर मरो।

चाहत सीय असोक सों आगि सु,

दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥ ४ ॥

बान लाग्यो उर लछिमन के तब,

प्राण तजे सूत रावन मारो।

लै गृह बैद्य सुषेन समेत,

तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।

आनि सजीवन हाथ दिए तब,

लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥ ५ ॥

रावन जुध अजान कियो तब,

नाग कि फाँस सबै सिर डारो।

श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,

मोह भयो यह संकट भारो I

आनि खगेस तबै हनुमान जु,

बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥ ६ ॥

बंधू समेत जबै अहिरावन,

लै रघुनाथ पताल सिधारो।

देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि,

देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो।

जाये सहाए भयो तब ही,

अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥ ७ ॥

काज किये बड़ देवन के तुम,

बीर महाप्रभु देखि बिचारो।

कौन सो संकट मोर गरीब को,

जो तुमसे नहिं जात है टारो।

बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,

जो कछु संकट होए हमारो ॥ ८ ॥

॥ दोहा ॥

लाल देह लाली लसे,

अरु धरि लाल लंगूर।

वज्र देह दानव दलन,

जय जय जय कपि सूर ॥ 

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