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यहां पढ़ें विश्वामित्र और अप्सरा मेनका की प्रेम कहानी

vishwamitra and menaka story

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में कई ऐसी कथाएं मिलती हैं जिनमें प्रेम के बारे में बताया गया हैं वही विश्वामित्र और स्वर्ग की अप्सरा मेनका के बीच प्रेम हुआ था और इस प्रेम से जुड़ी कई बातें हैं तो आज हम आपको विश्वामित्र और मेनका के प्रेम की कथा बता रहे हैं तो आइए जानते हैं। 

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जब महर्षि विश्वामित्र वन में कठोर तपस्या में लीन बैठे हुए थे। उनके चेहरे पर एक तेज और उनके शरीर में किसी भी तरह की हलचल नहीं हो रही थी उनके आसपास जंगली जानवर घूम रहे थे। चिड़िया चहक रही थी। मगर महर्षि विश्वामित्र की तपस्या को भंग करने का साहस किसी के पास नहीं था। किसी ने महर्षि विश्वामित्र की तपस्या की सूचना देवताओं के राजा इंद्र को इंद्रलोक में जा कर दे दी। जब इंद्र ने खुद आकर ऋषि विश्वामित्र की तपस्या देखी, तो उन्हें विश्वामित्र की तपस्या को देखकर बहुत ही अधिक हैरानी हुई देवेंद्र को हैरानी के साथ साथ एक ऐसा भय सताने लगा जिससे कि उनका अस्तित्व भी समाप्त हो सकता हैं। तब इंद्रदेव ने एक योजना बनाई योजना थी ऋषि विश्वामित्र की तपस्या भंग करने की। इंद्र ने स्वर्ग की एक सबसे सुंदर अप्सरा मेनका को अपने पास बुलाया और उसे नारी शरीर धारण कर मृत्युलोक में रहने का आदेश दिया। इंद्र ने अप्सरा से कहा कि वह पृथ्वी पर जाकर अपने सौंदर्य से ​विश्वामित्र को अपनी ओर आकर्षित करें। 

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ऋषि को तपस्या में लीन देखकर अप्सरा सोचने लगी। मगर विश्वामित्र का तप भंग करना आसान कार्य नहीं था मगर अप्सरा ने विश्वामित्र को अपनी ओर आकर्षित करने का हर संभव प्रयास किया। वह कभी मौका पाकर ऋषि विश्वामित्र की आंखों का केंद्र बनती हैं तो कभी कामुकता पूर्वक होकर अपने वस्त्र को हवा के साथ उड़ने देती हैं। स्वर्ग की अप्सरा मेनका के निरंतर प्रयासों से ऋषि के शरीर में धीरे धीरे बदलाव आने लगा और ऋषि अपनी तपस्या को भूलकर उठ खड़े हुए अपने फैसले को भूलकर उस स्त्री के प्यार में मगन हो गए थे जो कि स्वर्ग की एक सुंदर अप्सरा मेनका थी।

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इस सच से वंचित ऋषि उस अप्सरा मेनका रूपी स्त्री में अपनी अर्धांगिनी देखने लगे थे। ऋषि की तपस्या तो टूट चुका था फिर भी अप्सरा स्वर्ग लोक नहीं लौटी। और कुछ साल ऋषि के साथ बिताने लगी और उनके बीच काम संबंध स्थापित हुआ। ऋषि के साथ रहते हुए मेनका के दिमाग में प्यार के साथ एक चिंता चल रही थी। ​वह चिंता थी कि उसकी अनुपस्थिति में इंद्रलोक में बाकी अप्सराएं आनंद उठा रही होगी। दिन बीतते गए और एक दिन अप्सरा मेनका ने ऋषि की एक संतान को जन्म दिया। वह एक कन्या थी जिसे जन्म देने के कुछ समय बाद ही एक रात अप्सरा ऋषि और संतान को छोड़कर उड़कर वापस इंद्रलोक चली गई। 

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