Samachar Nama
×

Sarva Pitru Amavasya पर ब्राह्मणों को दक्षिणा में इन चीजों का अवश्य करें दान, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम 

हिंदू धर्म में सर्वपितृ अमावस्या का बहुत महत्व है। इसे पितृ मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है। यह पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है, जब उन सभी पूर्वजों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है या जिनका श्राद्ध किसी कारणवश नहीं हो पाया....
sdafd

हिंदू धर्म में सर्वपितृ अमावस्या का बहुत महत्व है। इसे पितृ मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है। यह पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है, जब उन सभी पूर्वजों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है या जिनका श्राद्ध किसी कारणवश नहीं हो पाया है। इस दिन किया गया श्राद्ध, दान और तर्पण पितरों को मोक्ष प्रदान करता है, तो आइए जानते हैं इस दिन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।

ब्राह्मणों को दक्षिणा देने का महत्व

श्राद्ध कर्म के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान-दक्षिणा देना न केवल एक परंपरा है, बल्कि एक अनुष्ठान भी है। ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध के दौरान ब्राह्मणों को दिया गया दान सीधे पितरों तक पहुँचता है। इस दान से पितरों को संतुष्टि मिलती है और वे प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। हमेशा ध्यान रखें कि दान की वस्तुएँ ऐसी हों जो ब्राह्मणों के काम आएँ।

दक्षिणा में क्या देते हैं?

धन - दक्षिणा में ब्राह्मणों को धन देना महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दान से ब्राह्मण को अपनी ज़रूरत की चीज़ें खरीदने में मदद मिलती है।

वस्त्र - ब्राह्मणों को दक्षिणा में धोती, कुर्ता, गमछा या अन्य उपयोगी वस्त्र देना शुभ माना जाता है। ऐसे में नए और साफ़ कपड़े दान करें।

अनाज - गेहूँ, चावल, दाल और तिल जैसे अनाज का दान करना बहुत पुण्यकारी माना जाता है। तिल का दान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पितरों को मोक्ष दिलाने में मदद करता है।

जूते और छाते - ब्राह्मणों को जूते और छाते दान करना भी एक महत्वपूर्ण परंपरा है, खासकर अगर वे दूर से आए हों।

बर्तन - तांबे या कांसे के बर्तन जैसे थाली, लोटा या गिलास भी दान किए जा सकते हैं। ये धातुएँ पवित्र मानी जाती हैं।

उपयोगी वस्तुएँ - इसके अलावा, आप ब्राह्मणों को चीनी, नमक, सब्ज़ियाँ या कोई अन्य वस्तु दान कर सकते हैं, जो उनके दैनिक जीवन में उपयोगी हो सकती है।

इन बातों का ध्यान रखें (दान नियम)

दक्षिणा हमेशा भोजन के बाद और सम्मानपूर्वक देनी चाहिए।
दान की वस्तुएँ अच्छी होनी चाहिए।
यदि आप एक से अधिक ब्राह्मणों को दान दे रहे हैं, तो सभी को समान वस्तुएँ और धन देना चाहिए।
दान देते समय मन में किसी भी प्रकार का अहंकार या दिखावा नहीं होना चाहिए।

Share this story

Tags