देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु को अर्पित करें ये चीजें, हर अधूरी इच्छा होगी पूरी, जीवन की परेशानियों से भी मिलेगा छुटकारा

हिंदू धर्म में प्रमुख व्रत-त्योहारों में देवशयनी एकादशी बेहद खास होती है। इसे हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु 4 महीने के लिए शयन करते हैं। चूंकि भगवान विष्णु सृष्टि के पालनकर्ता हैं, इसलिए योगनिद्रा में चले जाने के बाद हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है। हिंदू धर्म में इसी 4 महीने में चातुर्मास मनाया जाता है। खास बात यह है कि इन 4 महीनों तक संसार का संचालन स्वयं भगवान शिव करते हैं। ऐसे में इस दिन भजन-कीर्तन और पूजा-पाठ, दान जैसे शुभ कार्य करने से जातक का जीवन सुखमय रहता है। देवशयनी एकादशी इस साल 6 जुलाई को पड़ रही है। इस दिन व्रत, पूजा और प्रार्थना करने से व्यक्ति के धन-धान्य में वृद्धि होगी। साथ ही उसके सभी दुखों का नाश होगा। देवशयनी एकादशी के दिन व्यक्ति को कुछ चीजों का दान जरूर करना चाहिए, जिससे उसे
भगवान की कृपा मिल सके। देवशयनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4:08 बजे से 04:48 बजे तक रहेगा
- विजय मुहूर्त- दोपहर 2:45 बजे से 03:40 बजे तक रहेगा
- अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12:01 से 12:49 बजे तक रहेगा
- निशिता मुहूर्त- रात 12:06 मिनट से 12:46 मिनट तक रहेगा
- अमृतकाल- दोपहर 12:51-2:38 मिनट तक रहेगा
- नक्षत्र- विशाखा नक्षत्र, जो रात 10:41 बजे तक रहेगा।
- योग- साध्य योग 09:26 मिनट तक रहेगा।
क्या करें?
देवशयनी एकादशी के दिन भगवान को प्रसन्न करने के लिए कुछ चीजों का दान करना शुभ माना जाता है। इस दिन अन्न, जल, फल, वस्त्र और कौड़ियां दान करनी चाहिए। इसके अलावा पीले कपड़े, चंदन और केसर का दान भी शुभ माना जाता है। साथ ही गरीबों को भोजन कराना और गौशाला में गायों की सेवा करना भी पुण्य का काम माना जाता है।
- भोजन- गेहूं, चावल, दालें आदि।
- जल: राहगीरों को पानी पिलाना या ठंडा पानी पिलाना।
- शंख: भगवान विष्णु का प्रिय।
- फल: मौसमी फल जैसे आम, तरबूज आदि।
- वस्त्र: पीले कपड़े, नए कपड़े।
- पीले रंग की वस्तुएं: पीला चंदन, पीला केसर, पीले फूल।
- जूते-चप्पल: गरीबों को दान करना शुभ माना जाता है।
- जरूरतमंदों को खाना खिलाना: गरीबों को खाना खिलाना।
- गोशाला में दान: गायों की सेवा के लिए दान करना।
- अन्य वस्तुएं: धार्मिक पुस्तकें, तुलसी और मिट्टी के बर्तन भी दान किए जा सकते हैं।