Mauni amavasya 2021: मौनी अमावस्या पर क्यों किया जाता है गंगा स्नान, जानिए यहां
हिंदू धर्म पंचांग के मुताबिक माघ मास की अमावस्या तिथि को ही मौनी अमावस्या या माघी अमावस्या कहा जाता हैं इस साल मौनी अमावस्या 11 फरवरी 2021 को पड़ रही हैं मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान का बहुत अधिक महत्व होता हैं इसका महत्व सागर मंथन से निकले अमृत कलश से जुड़ा हुआ माना जाता हैं
मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान के बाद तिल के लड्डू, तिल का तेल, तिल, वस्त्र, आंवला, सर्दी के वस्त्र, कंबल आदि दान करने का विशेष विधान होता हैं मौनी अमावस्या के दिन पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान कर्म आदि भी किए जाते हैं इस दिन जो लोग व्रत करते हैं उनको मौन व्रत रखना चाहिए। इससे उनका आत्मबल मजबूत होता हैं इस दिन पीपल के पेड़ की भी पूजा की जाती हैं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान क्यों किया जाता हैं तो आइए जानते हैं।
मान्यताओं के मुताबिक मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने से जातक को तीन तरह के लाभ होते हैं तन और मन निर्मल होता हैं पाप मिटते हैं और ग्रहदोष भी शांत होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि प्रयागराज में मौनी अमावस्या के दिन गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम पर देवी देवता वास करते हैं
संगम में स्नान से वे जातकों को कष्टों और पापों से मुक्ति देते हैं संगम स्नान के बाद दान करने से धन वृद्धि का आशीष मिलता हैं। मौनी अमावस्या को संगम पर पितरभी पवित्र स्नान का लाभ लेने के लिए आते हैं इस दिन जो लोग पितरों के लिए पिंडदान, तर्पण या श्राद्ध कर्म करते हैं, उन्हें पितर तृप्त होकर उन्हें सुखी जीवन और वंश वृद्धि का अशीष देते हैं।
कथा अनुसार जब देवों और असुरों ने मिलकर सागर मंथन किया था, तब भगवान धनवंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। उस अमृत कलश को पाने के लिए देवो और असुरों के बीच छीना झपटी होने लगी। इस कारण से उस कलश से अमृत की कुछ बूंदे प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक की पवित्र नदियों में गिर गईं। तब से इन पवित्र नदियों मुख्यत: गंगा में धार्मिक महत्व वाले पर्व, त्योहार या तिथि को स्नान करने की परंपरा हैं ऐसा माना जाता है इन नदियों में स्नान करने से अमृत स्नान के समान पुण्य मिलता हैं।

