जानिए कौन थी मां वैष्णो देवी, भगवान राम ने उन्हें क्यों और क्या वचन दिया था
ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में माता वैष्णो देवी के भक्तों की कमी नहीं हैं उत्तरी भारत में सबसे अधिक पूजी जाने वाली माता वैष्णो देवी को जगत जननी कहा जाता हैं उनके दर्शन मात्र से ही भक्तों के सारे दुख, संकट दूर हो जाते हैं वैष्णों देवी के मंदिर में झोली फैलाने वाले भक्तों को माता कभी खाली हाथ नहीं जाने देती। माता वैष्णो देवी को देवी महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का अवतार माना जाता हैं। मां वैष्णों देवी मंदिर भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक हैं जम्मू और कश्मीर राज्य के जम्मू क्षेत्र के कटरा से करीब 14 किलोमीटर दूर त्रिकूटा की पहाड़ियों पर स्थित हैं माता का यह मंदिर करीब 5,200 फीट की उचाई पर बना हुआ हैं हर साल यहा लाखों की संख्या में लोग मां के मंदिर में दर्शन करने आते हैं तो आज हम आपको मां वैष्णो देवी के बारे में आपको बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार मां वैष्णो देवी ने भारत के दक्षिण में रत्नाकर सागर नाम के व्यक्ति के घर जनम लिया। उनके लौकिक माता पिता लंबे वक्त तक नि:संतान थे। देवी बालिका के जन्म से एक रात पहले, रत्नाकर ने वचन लिया कि बालिका जो भी चाहे, वह उसकी इच्छा के बीच में कभी नहीं आएंगे। मां वैष्णो देवी को बचपन में त्रिकुटा नाम से बुलाया जाता था। बाद में विष्णु के वंश से जन्म लेने के कारण वे वैष्णवी कहलाईं। जब त्रिकुटा नौ साल की थीं, तब उन्होंने अपने पिता से समुद्र के किनारे पर तपस्या करने की अनुमति चाही।

त्रिकुटा ने राम के रूप में श्री विष्णु से प्रार्थना की। सीता की खोज करते समय श्रीराम अपनी सेना के साथ समुद्र के किनारे पहुंचे। उनकी नजर गहरे ध्यान में लीन इस दिव्य बालिका पर पड़ी। त्रिकुटा ने श्रीराम से कहा कि उसने उन्हें अपने पति के रूप में स्वीकार किया। श्रीराम ने उसे बताया कि उन्होंने इस अवतार में केवल सीता के प्रति निष्ठावन रहने का वचन लिया हैं मगर भगवान ने उसे आश्वासन दिया कि कलियुग में वे कल्कि के रूप में प्रकट होंगे और उनसे विवाह करेंगे।

इस बीच, श्रीराम ने त्रिकुटा से उत्तर भारत में स्थित माणिक पहाड़ियों की त्रिकुटा श्रृंखला में अवस्थित गुरूफा में ध्यान में लीन रहने के लिए कहा। रावण के विरुद्ध श्रीराम की विजय के लिए मां ने नवरात्र मनाने का निर्णय लिया। इसलिए उक्त संदर्भ में लोग, नवरात्र के नौ दिनों की अवधि में रामायण का पाठ करते हैं श्रीराम ने वचन दिया कि समस्त संसार द्वारा मां वैष्णों देवी की स्तुति गाई जाएगी। त्रिकुटा वैष्णो देवी के रूप में प्रसिद्ध होंगी और सदा के लिए अमर हो जाएंगी।


