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रखेंगे इन बातों का ध्यान, तभी कहलाएंगे सच्चे शिव भक्त

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श्रावण मास हिन्दू पंचांग का अत्यंत पावन और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण महीना है। यह मास न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि प्रकृति में हरियाली, शीतलता और ऊर्जा का भी प्रतिनिधित्व करता है। इस विशेष माह में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है, और इसे भगवान शिव की भक्ति का सर्वोत्तम समय माना जाता है।

श्रावण मास की शुरुआत होते ही मंदिरों में घंटियों की गूंज, 'ॐ नमः शिवाय' के जाप और शिवालयों में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। शिवभक्त व्रत रखते हैं, रुद्राभिषेक करते हैं और बेलपत्र, दूध, दही, घी, शहद, गन्ने का रस आदि से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं। शास्त्रों में उल्लेख है कि श्रावण मास में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया गया छोटा सा प्रयास भी शीघ्र फलदायी होता है।

शिव आराधना के लाभ

श्रावण मास में भगवान शिव की उपासना करने से जीवन के कष्ट, पाप और दुखों का नाश होता है। भगवान शिव को 'आशुतोष' कहा गया है, यानी जो थोड़े से भक्ति भाव से भी तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं। जो व्यक्ति इस मास में शिवलिंग का जलाभिषेक करता है, उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है। जल, जो इस सृष्टि का एक मूलभूत तत्व है, अभिषेक के दौरान शक्ति और ऊर्जा का वाहक बन जाता है। जब शिवभक्त श्रद्धा और भक्ति के साथ अभिषेक करता है, तो उससे उत्पन्न होने वाली दिव्य ऊर्जा एक आध्यात्मिक आभामंडल (Aura) का निर्माण करती है, जो जीवन में सकारात्मकता भरती है।

हरियाली और शिव भक्ति का संबंध

श्रावण मास केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्राकृतिक सौंदर्य और हरियाली से भी जुड़ा हुआ है। यह वह समय होता है जब सूर्य के तेज ताप से झुलसी पृथ्वी वर्षा के जल से शीतल और हराभरा हो जाती है। यही कारण है कि इस मास को हरियाली और सृजन का प्रतीक माना गया है। जैसे पृथ्वी को वर्षा से ऊर्जा मिलती है, वैसे ही मानव जीवन को भगवान शिव की कृपा से बल और दिशा मिलती है।

यथार्थ शिव भक्ति का संदेश

श्रावण मास में लाखों कांवड़िया भक्त भगवान शिव के लिए जल लेकर लंबी यात्राएं करते हैं। इन यात्राओं का धार्मिक, मानसिक और आध्यात्मिक महत्व होता है, लेकिन इस यात्रा के दौरान जनसामान्य की सुविधा और सुरक्षा का ध्यान रखना भी हर भक्त की नैतिक जिम्मेदारी है। सच्ची शिव भक्ति वही है जिसमें दूसरों को किसी भी तरह की पीड़ा न हो। भीड़-भाड़ वाले इलाकों में अनुशासन, स्वच्छता और सहयोग बनाए रखना यथार्थ शिव भक्ति का अभिन्न हिस्सा होना चाहिए। इस प्रकार, श्रावण मास न केवल पूजा और व्रतों का समय है, बल्कि यह आत्मशुद्धि, अनुशासन, प्रकृति से जुड़ाव और समाज के प्रति जिम्मेदारी को भी दर्शाता है। भगवान शिव की कृपा से यह माह सभी भक्तों के जीवन में शांति, शक्ति और समृद्धि लेकर आए — यही कामना है।

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