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जानिए जनेऊ धारण करने के धार्मिक, वैज्ञानिक कारण

हिंदू धर्म में हर हिंदू का कर्तव्य हैं जनेऊ पहनना और उसके नियमों का पालन करना। जनेऊ धारण करने के बाद ही द्विज बालक को यज्ञ और स्वाध्याय करने का अधिकार प्राप्त होता हैं। वही जनेऊ संस्कार हिंदू धर्म के प्रमुख 24 संस्कारों में से एक माना जाता हैं। यह उपनयन संस्कार के अंतर्गत आता हैं और इसे यज्ञोपवीत संस्कार भी कहा जाता हैं।
जानिए जनेऊ धारण करने के धार्मिक, वैज्ञानिक कारण

हिंदू धर्म में जनेऊ धारण करना खास माना जाता हैं। इसका विशेष महत्व भी होता हैं। हिंदू धार्मिक शास्त्रों में टॉयलेट के भी कुछ नियम बताए गए हैं। जिनका वैज्ञानिक महत्व भी होता हैं। हिंदू धर्म में हर हिंदू का कर्तव्य हैं जनेऊ पहनना और उसके नियमों का पालन करना। जनेऊ धारण करने के बाद ही द्विज बालक को यज्ञ और स्वाध्याय करने का अधिकार प्राप्त होता हैं।जानिए जनेऊ धारण करने के धार्मिक, वैज्ञानिक कारण वही जनेऊ संस्कार हिंदू धर्म के प्रमुख 24 संस्कारों में से एक माना जाता हैं। यह उपनयन संस्कार के अंतर्गत आता हैं और इसे यज्ञोपवीत संस्कार भी कहा जाता हैं। वही सूत से बना पवित्र धागा होता हैं जनेऊ, जिसे मनुष्य बाएं कंधे के जनेऊ और दाईं भुजा के नीचे पहनता हैं। वही आज हम आपको इसके लाभ बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।जानिए जनेऊ धारण करने के धार्मिक, वैज्ञानिक कारण

लंदन में हुए एक शोध के मुताबिक हिंदुओं द्वारा मल मूत्र त्याग के समय कान पर जनेऊ लपेटने का वैज्ञानिक आधार भी होता हैं शोध के मुताबिक शौच के वक्त जनेऊ को कान के ऊपर लपेटने से कान के पास से गुजरने वाली उन नसों पर दबाव पड़ता हैं जिनका संबंध सीधे आंतों से होता हैं और इन नसों पर दबाव पड़ने से कब्ज की समस्या दूर हो जाती हैं। वही रिसर्च के मुताबिक जनेऊ धारण करने वाले लोगो को हृदय रोग और ब्लडप्रेशर की दिक्कत नहीं होती हैंजानिए जनेऊ धारण करने के धार्मिक, वैज्ञानिक कारण जनेऊ से शरीर में खून का प्रवाह सही तरीके से कार्य करता रहता हैं। नित्य कान पर जनेऊ रखने से स्मरण शक्ति बेहतर हो जाती हैं। कान पर दबाव पड़ने से दिमाग की वे नसें खुल जाती हैं जिनका संबंध स्मरण शक्ति से होता हैं। वही शौच के वक्त जनेऊ कान के पास रखने से जो नसें दबती हैं, उनसे रक्तचाप हमेशा ही नियंत्रण में रहता हैं और ब्लड प्रेशर की समस्या भी नहीं हो पाती हैं।जानिए जनेऊ धारण करने के धार्मिक, वैज्ञानिक कारण

हिंदू धर्म में हर हिंदू का कर्तव्य हैं जनेऊ पहनना और उसके नियमों का पालन करना। जनेऊ धारण करने के बाद ही द्विज बालक को यज्ञ और स्वाध्याय करने का अधिकार प्राप्त होता हैं। वही जनेऊ संस्कार हिंदू धर्म के प्रमुख 24 संस्कारों में से एक माना जाता हैं। यह उपनयन संस्कार के अंतर्गत आता हैं और इसे यज्ञोपवीत संस्कार भी कहा जाता हैं। जानिए जनेऊ धारण करने के धार्मिक, वैज्ञानिक कारण

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