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बुधवार को करें इन मंत्रों का जाप, सफलता चूमेगी कदम, भगवान गणेश दिलाएंगे हर काम में कामयाबी

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ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा अर्चना को समर्पित किया गया है वही बुधवार का दिन गौरी पुत्र गणेश की साधना आराधना को समर्पित होता है इस दिन भक्त भगवान श्री गणेश की विधिवत पूजा करते हैं और दिनभर उपवास भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु की कृपा बरसती है

Chant these mantra during worship lord ganesh

लेकिन इसी के साथ ही अगर बुधवार के दिन श्री गणेश की पूजा के दौरान उनके चमत्कारी मंत्रों का जाप भक्ति भाव से किया जाए तो शुभ फलों की प्राप्ति होती है और सारी दुख परेशानियां दूर हो जाती है साथ ही साधक को मनचाही सफलता हासिल होती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं भगवान गणेश के चमत्कारी मंत्र जाप। 

Chant these mantra during worship lord ganesh

यहां पढ़ें भगवान गणेश के मंत्र—

1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।

निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

2. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

3. ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥

4. दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥

5. ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥

6. ॐ नमो ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं देही चिन्तां दूरं करोति स्वाहा ॥

7. वन्दे गजेन्द्रवदनं वामाङ्कारूढवल्लभाश्लिष्टम् ।

कुङ्कुमरागशोणं कुवलयिनीजारकोरकापीडम् ॥

विघ्नान्धकारमित्रं शङ्करपुत्रं सरोजदलनेत्रम् ।

सिन्दूरारुणगात्रं सिन्धुरवक्त्रं नमाम्यहोरात्रम् ॥

गलद्दानगण्डं मिलद्भृङ्गषण्डं,

चलच्चारुशुण्डं जगत्त्राणशौण्डम् ।

लसद्दन्तकाण्डं विपद्भङ्गचण्डं,

शिवप्रेमपिण्डं भजे वक्रतुण्डम् ॥

गणेश्वरमुपास्महे गजमुखं कृपासागरं,

Chant these mantra during worship lord ganesh

सुरासुरनमस्कृतं सुरवरं कुमाराग्रजम् ।

सुपाशसृणिमोदकस्फुटितदन्तहस्तोज्ज्वलं,

शिवोद्भवमभीष्टदं श्रितततेस्सुसिद्धिप्रदम् ॥

विघ्नध्वान्तनिवारणैकतरणिर्विघ्नाटवीहव्यवाट्,

विघ्नव्यालकुलप्रमत्तगरुडो विघ्नेभपञ्चाननः ।

विघ्नोत्तुङ्गगिरिप्रभेदनपविर्विघ्नाब्धिकुंभोद्भवः,

विघ्नाघौघघनप्रचण्डपवनो विघ्नेश्वरः पातु नः ॥

8. गाइये गनपति जगबंदन।

संकर-सुवन भवानी नंदन ॥

गाइये गनपति जगबंदन...

सिद्धि-सदन, गज बदन, बिनायक।

कृपा-सिंधु, सुंदर सब-लायक ॥

गाइये गनपति जगबंदन...

मोदक-प्रिय, मुद-मंगल-दाता।

बिद्या-बारिधि, बुद्धि बिधाता ॥

गाइये गनपति जगबंदन...

मांगत तुलसिदास कर जोरे।

बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥

गाइये गनपति जगबंदन...

9. ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

10. ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।

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