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बद्रीनाथ धाम जहां माता लक्ष्मी ने लिया बदरी वृक्ष का रूप, जानिए बद्रीनाथ धाम से जुडी रोचक पौराणिक बातें

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भारत के उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ धाम हिंदू धर्म के चार प्रमुख धामों में से एक है, जिसे चारधाम यात्रा का एक अनिवार्य पड़ाव माना जाता है। यह पावन धाम नर-नारायण पर्वतों के मध्य अलकनंदा नदी के किनारे समुद्र तल से लगभग 10,248 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। धार्मिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक दृष्टि से यह स्थान विशेष महत्व रखता है।

आदि शंकराचार्य की पुनर्स्थापना

बद्रीनाथ धाम का धार्मिक महत्त्व आदि शंकराचार्य द्वारा पुनर्जागृत किए जाने के कारण और भी बढ़ जाता है। माना जाता है कि उन्होंने 8वीं शताब्दी में बद्रीनाथ मंदिर की पुनर्स्थापना की थी और इसे वैष्णव परंपरा का मुख्य तीर्थ घोषित किया था। मंदिर भगवान विष्णु के बद्रीनारायण रूप को समर्पित है, जो योग मुद्रा में ध्यानस्थ हैं। ऐसा कहा जाता है कि स्वयं विष्णु जी तप करने के लिए इस स्थान पर आए थे और देवी लक्ष्मी ने उन्हें बद्री वृक्ष का रूप लेकर तप की गर्मी से बचाया था, इसलिए यह स्थान बद्री+नाथ कहलाया।

वास्तुकला और धार्मिक वातावरण

बद्रीनाथ मंदिर की वास्तुकला उत्तर भारतीय शैली में बनी हुई है, जिसमें सुनहरे छत्र, त्रिकोणीय गुंबद और लाल-पीले रंग की सजावट देखने को मिलती है। मंदिर परिसर में भगवान बद्रीनाथ की शालिग्राम शिला से बनी काले रंग की मूर्ति स्थापित है, जो लगभग एक मीटर ऊँची है और ध्यान मुद्रा में विराजमान है। उनके साथ नर-नारायण, कुबेर, उद्धव और नारद की मूर्तियाँ भी विद्यमान हैं।

यात्रा और खुलने का समय

बद्रीनाथ धाम का कपाट हर वर्ष अप्रैल-मई में अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर खोला जाता है और दीपावली के आसपास भैया दूज के दिन बंद कर दिया जाता है। भारी बर्फबारी के कारण सर्दियों में मंदिर आम लोगों के लिए बंद रहता है और मूर्ति को जोशीमठ स्थित योगध्यान बद्री मंदिर में पूजा के लिए ले जाया जाता है।

तीर्थ यात्रा का महत्त्व

बद्रीनाथ धाम की यात्रा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अनुभव भी है। श्रद्धालु हजारों किलोमीटर की कठिन यात्रा करके जब इस दिव्य स्थल पर पहुंचते हैं, तो उन्हें एक अलौकिक शांति और दिव्यता का अनुभव होता है। इसे मोक्ष प्रदान करने वाला तीर्थ भी माना जाता है। मान्यता है कि बद्रीनाथ की यात्रा जीवन के पापों को नष्ट करती है और आत्मा को शुद्ध करती है।

विकास और सुविधाएं

हाल के वर्षों में केंद्र और राज्य सरकार ने बद्रीनाथ धाम की यात्रा को सुगम बनाने के लिए कई प्रयास किए हैं। चारधाम यात्रा मार्ग, हेलीकॉप्टर सेवा, टेंट सिटी और हाईवे विकास परियोजनाएं तीर्थयात्रियों को बेहतर अनुभव प्रदान कर रही हैं।

निष्कर्ष

बद्रीनाथ धाम न केवल उत्तराखंड का आध्यात्मिक रत्न है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, श्रद्धा और विश्वास का जीवंत प्रतीक है। जीवन में एक बार इस मोक्षदायिनी भूमि की यात्रा हर भक्त के लिए एक सपना और पुण्य का अवसर होती है। यह धाम हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं को आत्मिक ऊर्जा और दिव्यता का वरदान देता है।

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