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Ayodhya Story: आखिर किसका अवतार थीं लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की पत्नियां, जाने रामायण से जुड़ा बड़ा सच

Ayodhya Story: आखिर किसका अवतार थीं लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की पत्नियां, जाने रामायण से जुड़ा बड़ा सच

रामायण में लगभग हर किरदार किसी-न-किसी का अवतार थे और वो किसी उन्होंने भगवान राम का सहयोग देने और ख़ास उद्देश्यों को पूरा करने के लिए जन्म लिया था। इसमें भगवान राम के तीन भाई और उनकी पत्नियां भी शामिल है। ये अलग बात है कि लोग उनकी पत्नियों के बारे में ज्यादा नहीं जानते। तो, चलिए उनके बारे में जानते हैं...

शत्रुघ्न भगवान् राम के सबसे छोटे भाई थे। उनका अधिक जिक्र रामायण में नहीं मिलता। शायद इसलिए उनकी पत्नी के बारे में भी कोई ज्यादा नहीं जानता। शत्रुघ्न की पत्नी श्रुतकीर्ति थीं, जो माता लक्ष्मी के एक अंश का अवतार मानी जाती हैं। रामायण और अन्य ग्रंथों में वर्णित है कि भगवान विष्णु के अवतार के साथ, उनके साथ उनकी पत्नी देवी लक्ष्मी के अलग-अलग रूप भी पृथ्वी पर अवतरित हुए। श्रुतकीर्ति को सहनशीलता, शांति और आदर्श पत्नी धर्म का स्वरूप मानी जाती हैं। श्रुतकीर्ति, राजा जनक के भाई कुशध्वज की पुत्री थीं। उन्हें विद्या, विनम्रता और निष्ठा का आदर्श रूप माना गया है। श्रुतकीर्ति के इस अवतार का मुख्य उद्देश्य शत्रुघ्न की धार्मिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों में सहायता करना और पवित्रता एवं शांति का संदेश देना था। रामायण में उनका चरित्र आदर्श पत्नी और आदर्श गृहस्थ जीवन का प्रतिनिधित्व करता है।

लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला को भी देवी लक्ष्मी के एक अंश का अवतार माना जाता है। उर्मिला को देवी लक्ष्मी के "त्याग और सहनशीलता" के प्रतीक रूप में मानी जाती हैं। उन्होंने 14 वर्षों तक राम और लक्ष्मण की अनुपस्थिति में अयोध्या में रहकर अपने कर्तव्यों का पालन किया। उन्होंने ये 14 वर्ष सोकर बिठाये ताकि लक्ष्मण जागकर वनवास के दौरान अपने प्रिय भाई राम और भाभी सीता की पहरेदारी कर सके। कहते हैं कि उर्मिला ने ही लक्ष्मण को भगवान् राम की सेवा के लिए प्रेरित किया था। उन्होंने अपने व्यक्तिगत सुखों का त्याग करके कर्तव्य और धर्म को प्राथमिकता दी।

भरत की पत्नी मांडवी को भी देवी लक्ष्मी के एक अंश का अवतार माना जाता है। मांडवी को देवी लक्ष्मी के "धैर्य और संतुलन" के प्रतीक रूप में मानी जाती हैं। उनका जीवन समर्पण और धर्मपरायणता का उदाहरण है, जो पारिवारिक और सामाजिक संतुलन को बनाए रखने में सहायक रहा। मांडवी ने भरत के कठिन जीवन में धैर्य और शक्ति का संचार किया। भरत ने अयोध्या का शासन राम के चरणपादुका के प्रतीक के रूप में चलाया और मांडवी ने उनका हर कदम पर साथ दिया।

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