"Aaj ka Panchang 20 September 2025" चतुर्दशी श्राद्ध पर आज बन रहे हैं कई शुभ-अशुभ योग, इन राशियों की चमकने वाली है किस्मत
पितृ पक्ष का समय चल रहा है, जिसे पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए विशेष माना जाता है। इन 15 दिनों में पिंडदान और तर्पण किया जाता है ताकि पितरों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो सके। तो आइए पंडित आनंद सागर पाठक से जानते हैं कि आज कौन से शुभ और अशुभ योग बन रहे हैं। आज, 20 सितंबर 2025 को आश्विन मास की चतुर्दशी तिथि है। साथ ही, आज के पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की कृष्ण पक्ष तिथि चतुर्दशी तिथि है, जो 21 सितंबर, रात 12:16 बजे तक रहेगी। इसके बाद अमावस्या तिथि शुरू होगी। आपको बता दें कि आज शनिवार है। इस दिन सूर्य देव कन्या राशि में रहेंगे। जबकि चंद्रमा सिंह राशि में रहेगा। आपको बता दें, आज शनिवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:50 बजे से दोपहर 12:39 बजे तक रहेगा। इस दिन राहुकाल सुबह 09:11 बजे से 10:43 बजे तक रहेगा। चतुर्दशी श्राद्ध आज ही किया जाएगा। साथ ही, वार के अनुसार, आप शनिवार का व्रत भी कर सकते हैं, जो शनिदेव को समर्पित है। भक्त वत्सल के इस लेख में हम आपको आज के पंचांग के बारे में विस्तार से बताएंगे कि आज आपके लिए क्या शुभ मुहूर्त है। किस समय किए गए कार्यों से शुभ फल प्राप्त हो सकते हैं। साथ ही, आज कौन से उपाय करने से लाभ प्राप्त हो सकता है।
आज का पंचांग
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि समाप्त - रात 12 बजकर 16 मिनट पर
साध्य योग - रात 8 बजकर 7 मिनट तक
करण -
विष्टि - सुबह 11 बजकर 53 मिनट तक
शकुनी - रात 12 बजकर 16 मिनट तक
वार - शनिवार
(Picture Credit: Freepik) (AI Image)
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 6 बजकर 8 मिनट से
सूर्यास्त - शाम 6 बजकर 20 मिनट पर
चंद्रोदय - प्रातः 5 बजकर 30 मिनट से
चंद्रास्त - शाम 5 बजकर 35 मिनट पर
सूर्य राशि - कन्या
चंद्र राशि - कर्क
शुभ समय अवधि
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 11 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक
अमृत काल - देर रात 2 बजकर 45 मिनट से प्रातः 4 बजकर 26 मिनट तक
अशुभ समय अवधि
राहुकाल - सुबह 10 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 15 मिनट तक
गुलिक काल - सुबह 7 बजकर 40 मिनट से सुबह 9 बजकर 11 मिनट तक
यमगण्ड - दोपहर 3 बजकर 18 मिनट से दोपहर 4 बजकर 50 मिनट तक
आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव मघा नक्षत्र में रहेंगे…
मघा नक्षत्र - सुबह 8 बजकर 5 बजे तक
सामान्य विशेषताएं - परंपरावादी, अधिकारप्रिय, अहंकार, सहज समृद्धि, क्रोधी स्वभाव, कामुक और उदारता
नक्षत्र स्वामी - केतु देव
राशि स्वामी - सूर्य देव
देवता - पितृ (पूर्वज)
प्रतीक - राजसिंहासन

