ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में कई ऐसे निशान और चिह्न है जिन्हें शुभ व पवित्र माना जाता है इन्हीं में से एक है स्वस्तिक का निशान, जो शुभता का भी प्रतीक कहा जाता है नए घर या नई कार पर ये अपना निशान छोड़ जाता है इसे सतिया भी कहा जाता है स्वस्तिक को गौरी पुत्र श्री गणेश का प्रतीक भी माना जाता है
इस चिह्न के प्रति लोगों की गहरी आस्था और विश्वास है मान्यता है कि इस शुभ चिह्न के होने से घर परिवार में सकारात्मकता बनी रहती है और नकारात्मकता दूर हो जाती है तो आज हम आपको इसी के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण ये चारों दिशाओं को सम्बोधित करता है ये चिह्न वास्तव में अग्नि, इंद्र, वरुण और सोम की ओर इशारा करता है ये चारों दिशाओं के अधिपति देवता माने जाते हैं इन सभी देवताओं की आराधना के लिए स्वस्तिक का चिह्न उपयोग में लाया जाता है इसमें उपलब्ध चारों रेखाएं चारों वेदों को दर्शाती है जो ऋग्, यजु, साम और अथर्व वेद हैं वही स्वस्तिक का निशान सब दिशा से समान रूप से दिखाई देने के कारण इसे घर के वास्तु के लिए लाभकारी माना जाता है इस चिह्न को घर के मुख्य द्वार पर बनाना अति शुभ होता है धार्मिक तौर पर धन की देवी माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए चांदी में नवरत्न लगाकर पूर्वी दिशा में रखना चाहिए इससे माता की कृपा प्राप्त होती है
स्वस्तिक के चिह्न को कारोबार के लिए भी बेहद शुभ और फलदायी माना जाता है मान्यता है कि किसी विद्वान द्वारा बनाया गया स्वस्तिक अगर घर या कारोबार की उत्तर दिशा में स्थापित कर दिया जाए तो कारोबार में दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की होती है सेहत व धन प्राप्ति के लिए भी यह चिह्न फलदायी माना जाता है रात को सोने से पहले अगर तकिए पर अपनी तर्जनी से स्वस्तिक का निशान बनाया जाए तो जातक को कभी कोई बुरा सपना नहीं आता है और व्यक्ति जीवन में जरूरी प्रभाव को भी महसूस कर सकता है मान्यता है कि स्वस्तिक का निशान सकारात्मकता का संचार करता है और समस्याओं व नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा दिलाता है।