ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में ईश्वर साधना को सर्वोत्तम बताया गया है वही शास्त्रों में पूजा पाठ के कई प्रकार है लेकिन इन सभी में सभी उत्तम मानस पूजा को माना गया है। धार्मिक ग्रंथों और पुराणों के अनुसार मानस पूजा सबसे अच्छी विधि मानी जाती है। इस पूजा विधि से ईश्वन की वंदना करने से वे जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं, और भक्तों पर अपनी कृपा बनाएं रखते हैं। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा मानस पूजा की विधि और इसके महत्व के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते है।
शास्त्र अनुसार किसी भी पूजा पाठ में आप कितनी भी सामग्री अर्पित कर लें और कितना भी जाप ध्यान करें लेकिन अगर आपने मन और भाव से पूजा नहीं की है तो उसका फल आपको प्राप्त नहीं होगा कहा गया है कि ईश्वर भाव के भूखे होते हैं भौतिक वस्तुओं के नहीं ऐसे में मानव पूजा में प्रभु की आराधना व साधना भावना से की जाती है मानव पूजा में भक्त अपने इष्टदेव को श्रद्धा और भक्ति अर्पित करते है। मानव पूजा में भक्त की सच्ची श्रद्धा और भक्ति की जरूरत पड़ती है
इस पूजा में भक्त अपने इष्टदेव को मन ही मन स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान करता है उन्हें मोतियों और मणियों की माला अर्पित करता है भावना से गंगाजल से ईश्वर को स्नान कराता है और अलौकिक आभूषण अर्पित कर वसत्र समर्पित करता है सुगन्धि का अनुलेपन करता है इष्टदेव को स्वर्ण कमल अर्पित करता है
इसके बाद अमृत के समान नैवेद्य और धूप दीपक समर्पित किया जाता है और तीनों लोकों में उपस्थित सभी पूजा योग्य वस्तुओं को ईश्वर को समर्पित किया जाता है इस तरह बिना किसी भौतिक वस्तु के मानस पूजा को संपन्न किया जाता है ठीक इसी तरह भगवान से भक्त मन ही मन पूजा में होने वाली गलतियों के लिए क्षमा मांगता है इस पूजा से ईश्वर जल्द प्रसन्न होकर भक्तों के कष्टों का निवारण कर देते हैं।