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क्या होती है गुरु दक्षिणा और सनातन धर्म में क्या है इसका महत्व

Guru dakshina tradition importance and meaning

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में गुरु को ईश्वर के बराबर माना गया है क्योंकि गुरु ही अपने शिष्य को परमात्मा तक जाने का मार्ग दिखाता है हिंदू धर्म के कई ग्रंथों और पुराणों में गुरु शिष्य के संबंध के बारे में विस्तार से बताया गया है गुरु और शिष्य की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है

Guru dakshina tradition importance and meaning

गुरु द्वारा अपने शिष्यों को शिक्षा व ज्ञान प्रदान की जाती है ​जिससे नई पीढ़ी उस ज्ञान को प्राप्त कर विद्वान और श्रेष्ठ बनती है फिर इसके बाद वे इसे औरो तक पहुंचाते है गुरु द्वारा अपने शिष्य को ज्ञान प्रदान करने के बदले में शिष्य गुरु को गुरुदक्षिणा देते है जिस पर आज हम अपने इस लेख द्वारा चर्चा कर रहे है। 

Guru dakshina tradition importance and meaning

आध्यात्मिक और शास्त्र अनुसार गुरु वो होते है जो अपने शिष्य को अंधकार से प्रकाश यानी की ज्ञान की ओर ले जाते है यही कारण है कि हिंदू संस्कृति में गुरु को ईश्वर तुल्य कहा गया है गुरु का अर्थ वेद और गीता पुराणों में विस्तापूर्वक वर्णन किया गया है वही गुरु के ज्ञान की तरह ही सनातन धर्म में गुरु दक्षिणा का भी विशेष महत्व होता है वैदिक और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिष्यों को गुरु द्वारा गुरुकुल में शिक्षा प्रदान की जाती थी

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शिक्षा ग्रहण करने के बाद जब अंत में शिष्यों के घर वापसी का समय आता था तब गुरु अपने शिष्य से गुरु दक्षिणा मांगते थे यहां गुरु दक्षिणा अर्थ धन दौलत आदि नहीं है ​बल्कि गुरु अपनी इच्छा से अपने शिष्य से गुरु दक्षिणा के रूप में कुछ भी मांगते थे। वही अपने गुरु के आदेशों का पालन करना शिष्य का परम धर्म और कर्तव्य होता है ऐसे में गुरु द्वारा मांगी जाने वाली गुरु दक्षिणा शिष्य को प्रदान करनी ही पड़ती थी इसे ही शिष्य की असली परीक्षा माना जाता था। 
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