ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा तिथि को बेहद ही खास माना जाता है वही हर महीने में अमावस्या की तिथि पड़ती है लेकिन आषाढ़ माह में पड़ने वाली अमावस्या की तिथि को पूजा पाठ करने और स्नान करके पितरों की पूजा करने से अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है
किसानों के लिए यह दिन बेहद ही खास होता है क्योंकि इसी दिन किसान अपने सभी कृषि उपकरणों का विधिवत पूजा करते हैं वर्षा के देवता इंद्र से प्रार्थना करते है कि उनकी कृपा किसानों पर बनी रहे। अच्छी फसल के उत्पादन के लिए अच्छी वर्षा का होनो बेहद जरूरी होता है। तो आज हम आपको आषाढ़ी अमावस्या के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
आषाढ़ अमावस्या की तिथि और मुहूर्त—
आषाढ़ अमावस्या की तिथि का आरंभ— 28 जून दिन मंगलवार प्रातः काल 5:53 से होगा.
आषाढ़ अमावस्या तिथि का समापन— 29 जून दिन बुधवार सुबह 8:23 पर होगा.
आषाढ़ अमावस्या का व्रत और पूजन 28 जून को किया जाएगा.
आषाढ़ अमावस्या की पूजा विधि—
हिंदू धर्म में मान्यता है कि अमावस्या के दिन आसुरी शक्तियां अधिक सक्रिय हो जाती है इसलिए अमावस्या के दिन स्नान करके अपने पूर्वजों का ध्यान करना चाहिए उन्हें जल देने से नकारात्मक शक्तियों का विनाश हो जाता है पितरों को प्रसन्न करने के लिए सुबह सुबह नदी में स्नान करना चाहिए अंजुलि में जल लेकर सूर्य भगवान को जल देना चाहिए अगर घर के आस पास नदी या तालाब नहीं है तो नल या कुएं के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं भगवान सूर्यदेव को जल अर्पित करें।
आषाढ़ अमावस्या का महत्व—
हमारा देश कृषि प्रधान देश है अच्छी फसल के लिए यहां के किसान वर्षा के देवता भगवान इंद्र और भगवान सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए विधि विधान से पूजा आराधना करते हैं आषाढ़ अमावस्या के दिन कृर्षि यंत्रों की विधि विधान से पूजा की जाती है ऐसा माना जाता है कि आषाढ़ अमावस्या के दिन पूजा पाठ करने से सफल का उत्पादन अधिक होता है जिससे जन जीवन खुशहाल हो जाता है।