क्या अपब अन्तरिक्ष बनेगा देशों की नई युद्धभूमि ? चीन-रूस के 'किलर सैटेलाइट' को लेकर भड़के Japan ने उठाए सवाल
जापान ने अपने पहले अंतरिक्ष रक्षा दिशानिर्देश जारी किए, जिसमें उसने दावा किया कि चीन और रूस किलर सैटेलाइट विकसित कर रहे हैं। ये सैटेलाइट कथित तौर पर दूसरे देशों के सैटेलाइट को निष्क्रिय करने के लिए बनाए गए हैं। इस दावे से चीन नाराज़ है, जिसने इसे जापान का झूठा प्रचार और अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने का बहाना बताया है।
क्या है पूरा मामला?
जापान ने सोमवार को अपने पहले अंतरिक्ष रक्षा दिशानिर्देश जारी किए। इन दिशानिर्देशों में, जापान ने कहा कि वह अंतरिक्ष में अपनी रक्षा क्षमता बढ़ाना चाहता है, क्योंकि चीन और रूस जैसे देश किलर सैटेलाइट बना रहे हैं।
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जापान का दावा है कि ये सैटेलाइट दूसरे देशों के सैटेलाइट को नष्ट या निष्क्रिय कर सकते हैं। जापान ने यह भी कहा कि उसके सेल्फ डिफेंस फोर्स और निजी कंपनियों को सैटेलाइट की सुरक्षा बढ़ाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। साथ ही, जापान मिसाइल प्रक्षेपणों का पता लगाने, सैटेलाइट संचार को सुरक्षित करने और दूसरे देशों के संचार को बाधित करने की क्षमता विकसित करना चाहता है।
इसके जवाब में, चीन ने कड़ा रुख अपनाया। चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता झांग शियाओगांग ने कहा कि जापान के ये दावे निराधार हैं। ये चीन के खिलाफ बदनामी हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने भी कहा कि जापान "चीन से ख़तरे" का हवाला देकर अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, जो पूरी तरह से ग़लत है।
"किलर सैटेलाइट" क्या है?
किलर सैटेलाइट वह सैटेलाइट होता है जो दूसरे सैटेलाइट्स को नष्ट करने, निष्क्रिय करने या उनके काम में बाधा डालने के लिए बनाया जाता है। जापान का दावा है कि चीन और रूस ऐसे सैटेलाइट्स पर काम कर रहे हैं जो अंतरिक्ष में दूसरे देशों के सैटेलाइट्स को निशाना बना सकते हैं। अगर कोई सैटेलाइट किसी दूसरे सैटेलाइट के पास जाकर उसे नुकसान पहुँचाता है या उसका संचार बंद कर देता है, तो उसे "किलर सैटेलाइट" कहा जा सकता है। चीन का कहना है कि ये आरोप ग़लत हैं। चीनी विशेषज्ञ फू कियानशाओ ने कहा कि चीन के अंतरिक्ष कार्यक्रम शांतिपूर्ण हैं। कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि चीन अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स की मरम्मत या ईंधन भरने जैसी तकनीकों पर काम कर रहा है, जिसके लिए सैटेलाइट्स को एक-दूसरे के क़रीब लाना ज़रूरी है। यह तकनीक सैटेलाइट्स की लाइफ़ बढ़ाने और उनके आर्थिक मूल्य को बढ़ाने के लिए है, किसी को नुकसान पहुँचाने के लिए नहीं। फू के अनुसार, जापान इन सामान्य वैज्ञानिक गतिविधियों को ग़लत तरीक़े से "किलर सैटेलाइट" कह रहा है।
चीन को आपत्ति क्यों है?
चीन का कहना है कि जापान अपने सैन्य विस्तार को सही ठहराने के लिए चीन और रूस को निशाना बना रहा है। चीनी प्रवक्ता गुओ ने कहा कि चीन अंतरिक्ष का शांतिपूर्ण उपयोग चाहता है। वह अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ के खिलाफ है। चीन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंतरिक्ष में हथियारों पर नियंत्रण के लिए कानूनी समझौतों की भी बात की है। चीन का यह भी कहना है कि जापान अपने इतिहास से सबक नहीं ले रहा है। इस वर्ष जापानी आक्रमण के विरुद्ध चीनी प्रतिरोध युद्ध और विश्व चीन-विरोधी युद्ध की विजय की 80वीं वर्षगांठ है। चीन ने जापान से अपने युद्ध अपराधों की ज़िम्मेदारी लेने, इतिहास से सीखने और क्षेत्र में भय फैलाने के बजाय पड़ोसी देशों का विश्वास जीतने का प्रयास करने का आग्रह किया है।
जापान क्या कर रहा है?
जापान ने हाल के वर्षों में अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने पर ज़ोर दिया है। वह हर साल रक्षा खर्च बढ़ा रहा है। वह अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ सैन्य सहयोग बढ़ा रहा है। जापान, अमेरिका और पश्चिमी देश अंतरिक्ष में भी सैन्य सहयोग बढ़ा रहे हैं। जापान का कहना है कि वह अपनी रक्षा के लिए ऐसा कर रहा है, लेकिन पड़ोसी देशों को लगता है कि यह जापानी सैन्यवाद के फिर से उभरने का संकेत हो सकता है।
जापान के नए दिशानिर्देशों में कहा गया है कि वह अपने उपग्रहों की सुरक्षा के लिए तकनीक विकसित करेगा, मिसाइल प्रक्षेपणों का पता लगाने की क्षमता बढ़ाएगा। साथ ही, वह दूसरे देशों के संचार को बाधित करने वाली तकनीक पर भी काम करेगा। इसमें जापान की आत्मरक्षा सेना और निजी कंपनियाँ भी शामिल होंगी।
भारत के लिए इसका क्या मतलब है?
भारत भी अंतरिक्ष में एक मज़बूत खिलाड़ी है। वह अपने उपग्रहों और अंतरिक्ष कार्यक्रमों का विकास कर रहा है। जापान और भारत के बीच रक्षा और अंतरिक्ष सहयोग बढ़ रहा है, लेकिन चीन के साथ भारत के तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए, भारत को इस मामले में सतर्क रहना होगा। अगर अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ शुरू होती है, तो यह भारत जैसे देशों के लिए भी एक चुनौती बन जाएगा, क्योंकि अंतरिक्ष में उपग्रहों की सुरक्षा बेहद ज़रूरी है।