बेलारूस में क्यों हाइपरसोनिक मिसाइल बेस तैयार करने में लगा रूस ? अमेरिकी रिपोर्ट में हुआ सनसनीखेज खुलासा
अमेरिकी रिसर्चर्स ने सैटेलाइट तस्वीरों के ज़रिए पता लगाया है कि रूस पूर्वी बेलारूस के एक पुराने एयरबेस पर अपनी नई न्यूक्लियर-कैपेबल हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल, ओरेश्निक, तैनात कर रहा है। यह तैनाती बहुत तेज़ी से और जल्दबाज़ी में हो रही है, जिससे रूस को रणनीतिक फायदा मिल रहा है। इस कदम से यूरोप में रूस की मिसाइलों की पहुंच और मज़बूत हो सकती है।
ओरेश्निक मिसाइल क्या है?
ओरेश्निक (रूसी में "हेज़ल ट्री" का मतलब) एक इंटरमीडिएट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (IRBM) है। इसकी स्पीड 12,000 किमी/घंटा है और रेंज लगभग 5,500 किलोमीटर है। यह न्यूक्लियर या पारंपरिक वॉरहेड ले जा सकती है। रूस ने इसका इस्तेमाल पहली बार नवंबर 2024 में यूक्रेन के खिलाफ किया था। पुतिन का दावा है कि इसे रोकना नामुमकिन है। यह एक साथ कई टारगेट पर हमला कर सकती है और इसमें कई वॉरहेड लगाए जा सकते हैं।
तैनाती कहाँ हो रही है?
रिसर्चर्स जेफरी लुईस और डेकर इवेलेथ ने प्लैनेट लैब्स की सैटेलाइट तस्वीरों का अध्ययन किया। उन्हें 90% यकीन है कि मोबाइल ओरेश्निक लॉन्चर क्रिचेव के पास एक पुराने एयरबेस पर तैनात किए जाएंगे। यह जगह मिन्स्क से 307 किमी पूर्व और मॉस्को से 478 किमी दक्षिण-पश्चिम में है। तस्वीरों में तेज़ी से निर्माण, एक रेल ट्रांसफर पॉइंट और एक छिपा हुआ लॉन्च पैड दिख रहा है।
रूस ऐसा क्यों कर रहा है?
विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक राजनीतिक संदेश है। रूस नाटो देशों को यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइलें देने से रोकने के लिए न्यूक्लियर हथियारों पर ज़्यादा निर्भर हो रहा है।
यह जर्मनी में अमेरिका द्वारा हाइपरसोनिक डार्क ईगल मिसाइलों की तैनाती का जवाब भी हो सकता है।
बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने कहा कि 10 ओरेश्निक मिसाइलें तैनात की जाएंगी, लेकिन यह जगह सिर्फ तीन लॉन्चर के लिए ही काफी बड़ी लगती है।
यह शीत युद्ध के बाद पहली बार है जब रूस अपने इलाके से बाहर न्यूक्लियर हथियार तैनात कर रहा है।
विशेषज्ञों की राय
जॉन फोरमैन (चैथम हाउस): बेलारूस में तैनाती से यूरोप में रूस की रेंज बढ़ेगी।
पावेल पोडविग (जिनेवा): इससे रूस को ज़्यादा फायदा नहीं होगा, सिर्फ बेलारूस को सुरक्षा का भरोसा मिलेगा।
यह खबर न्यू START संधि की समय सीमा खत्म होने से पहले आई है, जो अमेरिका-रूस के न्यूक्लियर हथियारों को सीमित करती है। रूस और बेलारूस ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। इस कदम से यूक्रेन और नाटो के बीच तनाव बढ़ सकता है।