मोदी सरकार की तारीफ़ करने वाले मोहम्मद यूनुस को क्या हुआ?
बांग्लादेश और भारत के रिश्ते आज़ादी के बाद से ही खास और मजबूत रहे हैं। भारत ने 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसके बाद दोनों देशों के बीच मित्रता और सहयोग की एक नई मिसाल कायम हुई। हालांकि, पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों के संबंधों में कुछ तनाव और मतभेद देखे गए, खासकर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के भारत विरोधी रुख को लेकर। लेकिन हाल ही में इन रिश्तों में फिर से गर्मजोशी और सहयोग की भावना उभरी है, जो इस क्षेत्रीय साझेदारी के महत्व को दर्शाता है।
प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस, जो पहले भारत को कड़ी आलोचना करते थे, अब भारत की ओर से भेजी गई चिकित्सा टीम की मदद के लिए खुले दिल से आभार व्यक्त कर रहे हैं। यह टीम बांग्लादेश की राजधानी ढाका के माइलस्टोन स्कूल और कॉलेज में 21 जुलाई को हुए विमान हादसे के पीड़ितों का इलाज कर रही है। इस हादसे में एक बांग्लादेश वायुसेना का F-7 BGI प्रशिक्षण विमान तकनीकी खराबी के कारण स्कूल के परिसर में गिर गया था, जिसमें 32 लोगों की मौत हुई, जिनमें 26 बच्चे शामिल थे। इसके अलावा 170 से अधिक लोग घायल हुए, जिनमें अधिकतर छात्र थे, जिन्हें जलने के गंभीर घाव आए हैं। इस भयावह हादसे ने पूरे देश को शोक में डुबो दिया था।
हादसे के तुरंत बाद, भारत ने 23 जुलाई को बांग्लादेश को एक 21 सदस्यीय मेडिकल टीम भेजी, जिसमें दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल और सफदरजंग अस्पताल के बर्न विशेषज्ञ डॉक्टर शामिल थे। इस टीम में डॉ. राम मोहन, डॉ. पीयूष थायल के अलावा नर्स पुनीत शर्मा और अनीता वर्मा भी थीं। ये विशेषज्ञ 24 जुलाई से ढाका के विभिन्न अस्पतालों में मरीजों का इलाज कर रहे हैं और गंभीर मरीजों के लिए भारत में विशेष उपचार की भी व्यवस्था कर रहे हैं। इस मानवीय सहायता के लिए मुहम्मद यूनुस ने भारत का धन्यवाद किया और इस सहयोग को क्षेत्रीय एकजुटता का मजबूत उदाहरण बताया।
मोहम्मद यूनुस ने इस संबंध में कहा, "ये टीमें सिर्फ अपनी विशेषज्ञता नहीं, बल्कि अपने दिल से आई हैं। उनकी मदद हमारी एकता को दर्शाती है।" उन्होंने आगे चिकित्सा शिक्षा और आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं में सहयोग बढ़ाने की भी अपील की। स्वास्थ्य सलाहकार नूरजहां बेगम और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी के निदेशक प्रोफेसर नासिउद्दीन ने भी इस बात की पुष्टि की कि विदेशी डॉक्टरों की त्वरित मदद से कई लोगों की जान बचाई गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे के बाद तत्काल बांग्लादेश को सहायता का आश्वासन दिया था। भारतीय उच्चायोग ने भी बांग्लादेश सरकार के संपर्क में रहकर गंभीर रूप से घायल मरीजों के लिए भारत में इलाज की पेशकश की। यह कदम न केवल मानवीय मदद का प्रतीक है, बल्कि दक्षिण एशिया में बढ़ती सहयोगात्मक भावना और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी अहम माना जा रहा है।
यह घटनाक्रम यह साफ करता है कि भले ही राजनीतिक मतभेद और असहमति समय-समय पर सामने आती हैं, लेकिन भारत और बांग्लादेश के बीच की दोस्ती और सहयोग की नींव इतनी मजबूत है कि वे संकट के समय एक-दूसरे के साथ खड़े रहते हैं। बांग्लादेश के इस संकट में भारत की मदद ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि दोनों देशों के बीच की साझेदारी केवल कूटनीति तक सीमित नहीं, बल्कि यह मानवीयता और सामूहिक भलाई पर आधारित है।
आगे चलकर, इस सहयोग को और मजबूत करने के लिए दोनों देशों को चिकित्सा, शिक्षा, सुरक्षा और आर्थिक क्षेत्रों में और भी गहन साझेदारी करनी होगी ताकि दक्षिण एशिया में शांति और समृद्धि का माहौल बन सके। मुहम्मद यूनुस के हालिया बयान इस दिशा में एक सकारात्मक संकेत हैं, जो क्षेत्रीय सहयोग और मित्रता को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की उम्मीद जगाते हैं।