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India Taiwan relations: भारत के लिए चीन को साधने का जरिया बन सकता है ताइवान, ये है असल वजह

 

चीन के खिलाफ अमेरिका सहित कई देश उतर आए हैं। भारत और अमेरिका के साथ चीन के बर्ताव पर पूरी दुनियां की नजरें टिकी है। चीन के अड़ियल रवैया और विस्तारवादी नीति से कई देशों की आंखों खटकने लगा है। इस बीच ताइवान वो जरिया बन सकता है जो चीन के कदमों को रोकने में कारगर साबित होगा। ऐसे भी ताईवान और अमेरिका के बीच प्रगाढ़ होते रिश्तों को लेकर चीन बौखलाया हुआ है। इसकी बड़ी वजह है कि चीन ताइवान को अपना हिस्सा बताता आया है। जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र राष्ट्र मानता है।

ऐसे में ताइवान के साथ किसी भी ऐसे देश का खड़ा होना चीन को रास नहीं आता है। चीन ने कई बार ताइवान को चेतावनी दी है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत भी ताइवान के साथ अपने रिश्तों को मजबूत करना चाहता है। भारत एक्ट ईस्ट पॉलिसी को बढ़ावा दे रहा है। ताइवान के साथ भारत की कई चीजों में साझेदारी रह चुकी है। ऐसे में भारत के रिश्ते ताइवान के साथ मजबूत होना समय की मांग है।

बता दें कि ताइवान के साथ आधिकारिक राजनयिक संबंध न होने के बावजूद 1990 के दशक में तत्‍कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्‍हा राव ने इन संबंधों को मजबूती देने के लिए कदम उठाए थे।वहीं अमेरिका ने ताइवान के साथ रक्षा के क्षेत्र में डील की थी। हाल में जब अमेरिका के आर्थिक मामलों के वरिष्‍ठ मंत्री कीथ क्राच ताइवान दौरे पर पहुंचे थे, तो इससे चीन को बैचेनी सताने लगी थी। उसने ताइवान में लड़ाकू विमान भेजकर जंग का संदेश दिया था।

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